आओ यादों के तकिये पर
सर रखकर सो जाएं
भूलकर सब खलिश जिंदगी की
सुंदर सपनों में खो जाए
मेरे हमसफ़र मेरे हमनशीं
कहीं भी रहा मैं रहा बेपनाह
मैं अकेला चला संग बिना कारवां
मेरी तन्हाई को तुम सुकूँ दो
मेरी बेचैनी को चैन देकर
मेरी टुकड़ा हुई जिंदगी थाम लो
मेरे हमसफ़र मेरे हमनशीं
लिखे प्यार की हम इबारत नई
एक दुनियां बुने और कोई न हो
तुम मुझमें मैं तुममें इस तरह गुम से हों
जैसे पत्तों को छूकर हवा झूमती
जैसे लहरों से मिलता है सागर गले
मेरे हमसफ़र मेरे हमनशीं
आओ यादों के तकिये पर
सर रखकर सो जाएं
भूलकर सब खलिश जिंदगी की
सुंदर सपनों में खो जाए
मेरे हमसफ़र मेरे हमनशीं।
© पिंक रोज़ (चंद्रकांता) PINK ROSE ( CHANDRAKANTA)


चिता साभार गूगल
Chandrakanta

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