को सुनना..उन्हें समझना हमें हमेशा से सुकून देता है। आज बच्चों को सुना और उनकी अभिव्यक्ति के सुरों को पकड़ने की कोशिश की। पांच-छ: साल की बच्ची अंजली से मिलना आज का सबसे खास अनुभव रहा। सब उससे बुद्धू कहकर बुला रहे थे..उसका मजाक बना रहे थे..अंजली को लिखने के लिए कापी पेन्सिल दी तो पाया की वह कागज़ के किसी भी छोर पर बहोत बेतरतीब से पेन्सिल को गोल-गोल घुमा रही थी। जब अंजली को चित्रकारी और रंग भरने के लिए ड्राइंग बुक दी तो उन्होंने इधर-उधर रंग चलाने शुरू कर दिए। हमने आब्जर्व किया की वह बुद्धू नहीं है..अंजली तो ‘स्पेशल किड’ है उसकी समझ और अभिव्यक्ति हमारे जैसी नहीं है लेकिन कई बातों में वह हमसे आपसे बेहतर है। यही बात हमने उनकी माँ और साथी बच्चों को भी समझाने की कोशिश की।
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