Bhagana Movement Special kid Anjli भगाणा आन्दोलन

Bhagana Movement – chilDren Of Bhagana भगाणा , दिल्ली डायरी

स्पेशल किड अंजली – भगाणा के बच्चों के साथ टीचर के रूप में हमारा पहला दिन जीवन के सबसे सुखद पलों में से एक रहा। बच्चों को सुनना..उन्हें समझना हमें हमेशा से सुकून देता है। आज बच्चों को सुना और उनकी अभिव्यक्ति के सुरों को पकड़ने की कोशिश की। पांच-छ: साल की बच्ची अंजली से मिलना आज का सबसे खास अनुभव रहा। सब उससे बुद्धू कहकर बुला रहे थे..उसका मजाक बना रहे थे..अंजली को लिखने के लिए कापी पेन्सिल दी तो पाया की वह कागज़ के किसी भी छोर पर बहोत बेतरतीब से पेन्सिल को गोल-गोल घुमा रही थी। जब अंजली को चित्रकारी और रंग भरने के लिए ड्राइंग बुक दी तो उन्होंने इधर-उधर रंग चलाने शुरू कर दिए। हमने आब्जर्व किया की वह बुद्धू नहीं है..अंजली तो ‘स्पेशल किड’ है उसकी समझ और अभिव्यक्ति हमारे जैसी नहीं है लेकिन कई बातों में वह हमसे आपसे बेहतर है। यही बात हमने उनकी माँ और साथी बच्चों को भी समझाने की कोशिश की।

स्पेशल किड एक ‘स्पेशियली एबल्ड’/डिफरेंटली एबल (specially abled/differently abled) बच्चा होता है और इसलिए इनका समझने का तरीका, बिहेवियर पैटर्न और इनकी जरूरतें भी ख़ास होती हैं. मेडिकल भाषा में इनमें सामान्य बच्चों की अपेक्षा लर्निंग और डिवेलपमेंटल किस्म की डिसअबिलिटीस पाई जाती हैं

पिछले दो सप्ताह के दौरान हमने जाना की अंजली को जिस ख़ास केयर की जरुरत है वह उसे परिवार और संगी-साथियों से नहीं मिल पा रही है .इसका एक बड़ा कारण परिवार के बड़ों का शिक्षित नहीं होना है.अंजली की माँ से बातचीत करने पर मालूम हुआ की स्कूल वालों नें कभी यह नहीं बताया की अंजली ‘स्पेशल किड’ (स्पेशल चाइल्ड) है. स्पेशल किड एक ‘स्पेशियली एबल्ड’/डिफरेंटली एबल्ड (specially abled/differently abled) बच्चा होता है और इसलिए इनका समझने का तरीका, बिहेवियर पैटर्न और इनकी जरूरतें भी ख़ास होती हैं. मेडिकल भाषा में इनमें सामान्य बच्चों की अपेक्षा लर्निंग और डिवेलपमेंटल किस्म की डिसअबिलिटीस पाई जाती हैं. और इनका वर्गीकरण लक्षणों के अनुसार अलग होता है. सरकार व प्रशासन की तरफ से स्पेशल चाइल्ड के लिए कोई ख़ास योजना हमें याद नहीं पड़ती. इनके सन्दर्भ में जानकारी, जागरूकता, शिक्षा सभी की कमी है. Information on schemes for empowerment of persons with disabilities

स्पेशल किड्स के लिए ख़ास तौर पर डिजाइन की गयी ‘क्रिएटिव कल्चरल एक्टिविटीज’ और खेलों को प्रमोट किया जाना चाहिए लेकिन इस तरफ भी सुस्ती का माहोल है. अंजली अब शरीर के अंगों की पहचान करने लगी है आँख,नाक,कान,होंठ,दांत,बाल,हाथ,पैर..अंगुलियाँ सब बता देती है.और रेल की तरह भा-ग-म-भा-ग करती अपनी लड़खड़ाती हुई जबान में एक से दस तलक की गिनती भी सुना देती है .यहाँ तक पहुँचने में उसे दस दिन लगे .वह आगे भी सीख लेगी बस उसे हमारा आपका साथ और प्यार चाहिए.  

Chandrakanta

Recent Posts

नदिया किनारे हेराए आई कंगना / Nadiya kinare herai aai kangana

नदिया किनारे हेराए आई कंगना / Nadiya kinare herai aai kangana, अभिमान, Abhimaan 1973 movies…

11 months ago

पिया बिना पिया बिना बसिया/ Piya bina piya bina piya bina basiya

पिया बिना पिया बिना बसिया/ piya bina piya bina piya bina basiya, अभिमान, Abhimaan 1973…

11 months ago

अब तो है तुमसे हर ख़ुशी अपनी/ Ab to hai tumse har khushi apni

अब तो है तुमसे हर ख़ुशी अपनी/Ab to hai tumse har khushi apni, अभिमान, Abhimaan…

11 months ago

लूटे कोई मन का नगर/  Loote koi man ka nagar

लूटे कोई मन का नगर/ Loote koi man ka nagar, अभिमान, Abhimaan 1973 movies गीत/…

11 months ago

मीत ना मिला रे मन का/  Meet na mila re man ka

मीत ना मिला रे मन का/ Meet na mila re man ka, अभिमान, Abhimaan 1973…

11 months ago

तेरे मेरे मिलन की ये रैना/ Tere mere milan ki ye raina

तेरे मेरे मिलन की ये रैना/ Tere mere milan ki ye raina, अभिमान, Abhimaan 1973…

11 months ago

This website uses cookies.