सिनेमास्कोप CINEMASCOPE

Hindi Medium 2017 आई एम् ‘हिंदी मीडियम’

Hindi Medium –   ‘अंग्रेजी जबान नही क्लास है’

  ‘अंग्रेजी जबान नही क्लास है’ इस थीम को लेकर फिल्म ‘हिंदी मीडियम’ का प्लाट बुना गया है . फिल्म में एक माँ है मीता ( सबा कमर) जो अपनी बेटी (पिया) को टॉप पर देखना चाहती है जिसके लिए अंग्रेजी आना जरुरी है , एक पिता है राज बत्रा (इरफ़ान खान) जो अपने बच्चे के सुन्दर भविष्य की चाहत रखता है उसे हिंदी या अंग्रेजी से फरक नहीं पड़ता .

मीता और राज एक सुदृढ़ आर्थिक पृष्ठभूमि से हैं. एक अच्छे इंग्लिश मीडियम स्कूल में बच्चे के दाखिले को लेकर अभिभावकों के तनाव और प्रशासन की असंवेदनशीलता को ‘हिंदी मीडियम’ में सटायर के माध्यम से बुना गया है . अपर क्लास के अपने से अधिक हाई प्रोफाइल स्टेटस में शामिल होने की चाहत और लोअर क्लास के लिए एक बड़े इंग्लिश मीडियम स्कूल में दाखिले की ख्वाहिश को लेकर ‘हिंदी मीडियम’ एक बेहतरीन समानांतर रचती है .  

 हमें आखिर इंग्लिश मीडियम क्यों चाहिए? भारत में फर्राटेदार इंग्लिश बोलना समाज और सिस्टम में आपकी पहुँच और बारगेनिंग पावर को बढ़ा देता है . फिल्म के निर्देशक साकेत चौधरी का निर्देशन काबिल ए तारीफ़ है उन्होंने मध्यम वर्ग के इस ह्यूमर को सधे हुए तरीके से पकड़ा है .

 हमें आखिर इंग्लिश मीडियम क्यों चाहिए? भारत में फर्राटेदार इंग्लिश बोलना समाज और सिस्टम में आपकी पहुँच और बारगेनिंग पावर को बढ़ा देता है . फिल्म के निर्देशक साकेत चौधरी का निर्देशन काबिल ए तारीफ़ है उन्होंने मध्यम वर्ग के इस ह्यूमर को सधे हुए तरीके से पकड़ा है .एक दृश्य में वे स्कूल और और प्रशासन के गठजोड़ को चाय जैसे सामान्य प्रतीक से जोड़ते हैं .   आप सब परिचित होंगे की पिछले तीन सालों में भारत में चाय पर जितनी चर्चा हुई है उतना पहले कभी नहीं हुई .

Besides Nawazzudin Siddaqui’s Good work Ghoomketu is a new Disaster https://matineebox.com/ghoomketu-review-youll-leave-watching-it-halfway/

यह फिल्म आपको बताती है की जहां – जहां चाय पहुँचती है वहाँ – वहाँ भ्रष्टाचार (रिश्वत) कैसे पहुँचाया जाता है . कमजोर बैकग्राउंड से आयी प्रिंसिपल (अमृता ) की भूमिका ऐसे ही अधिकारियों की तरफ संकेत करती है जो कमजोर पृष्ठभूमि के बावजूद अपनी मेहनत से किसी काबिल पद तक पहुँचते हैं लेकिन सिस्टम में रहकर वे भी उस एलीट क्लास का हिस्सा हो जाते हैं जिनके पास पैसा और पावर तो है लेकिन संवेदनशीलता नहीं.  

फिल्म का एक तीसरा पक्ष भी है श्याम प्रकाश ( दीपक डोबरियाल) और उसकी पत्नी का .जिनकी पृष्ठभूमि में गरीबी है वंचना है लेकिन जो किसी की मदद पूरी अमीरी के साथ करते हैं . फिल्म के संवाद जानदार हैं जिन्हें निभाने में इरफ़ान खान और दीपक डोबरियाल नें कमाल कर दिया है .इरफ़ान की आवाज़ का उतार चढ़ाव, सहज संवाद अदायगी और दीपक की भाव भंगिमाओं का उनके संवादों से गज़ब का सामंजस्य आप पर गहरा प्रभाव छोड़ता है .

सबा कमर की अदाकारी बढ़िया है। संवाद कहीं-कहीं गहन सामजिक विद्रूपता और अवसरों की असमानता को उघाड़ते हैं जैसे श्याम प्रकाश कहता है – ..शिक्षा का कोई मौका मिले तो उसे भी छीन लो क्योंकि पढ़ लिख गए तो तुम्हारी नौकरी कौन करेगा !’ लेकिन कहीं – कहीं संवादों में भावुक अतिरेकता भी है जैसे श्याम का ही एक संवाद है -‘ हमें आता ही नहीं किसी का हक मारना।’ जबकि सामान्य तथ्य यह है कि अमीर हो या गरीब सब जाने-अनजाने अपनी सुविधा के हिसाब से अवसर मिलते ही अपने से कमजोर का हक छीन लेते हैं.

फिल्म के कुछ दृश्य भावुक कर देने वाले और इंसानियत पर आपका विश्वास बनाए रखने की वजह देते हैं.जैसे – श्याम प्रसाद का पिया के स्कूल की फीस के लिए एक बड़ी गाड़ी के नीचे आ जाना ताकि नुकसान के एवज़ में उसे फीस भरने लायक रूपए मिल जाएं..

क्लाईमेक्स में मीता और राज का अपनी भूल को समझना और उनका सेंसेटाइजेशन कुछ लोगों को शायद सटीक ना लगे . लेकिन पहला ,क्लाईमेक्स को समेटने में निर्देशक की च्वाइस अक्सर सीमित और पापुलर होती है दूसरा, फिल्मांकन में कहीं भी यह नहीं दिखाया गया की मीता और राज को अपने पैसे का गुरुर है या इस वजह से उन्होंने सीधे तौर पर किसी का अनिष्ट किया हो .इसलिए इस क्लाइमेक्स को पचा पाना मुश्किल नहीं होना चाहिए.

आप इस सेंसेटाइजेशन को सटायर के रूप में ले, निर्देशक की बाध्यता के रूप में लें या समाज की रियलिटी के रूप में लेकिन यह कहानी में मिसफिट नहीं लगता. इसके अलावा, सरकारी स्कूल में बच्चों की एक्टिविटी वाला दृश्य क्रम बेहतर है लेकिन क्लाइमेक्स के बाद स्कूल के बच्चों को दीवार पेंट कराते हुए दिखाना कुछ जंचा नहीं .वह दृश्य याद हो आया जहाँ हम अपने सरकारी स्कूल में प्रार्थना के पहले झाड़ू ल

गाते थे और धूल से सन जाया करते थे. तब समझ नहीं थी लेकिन अब है बच्चे स्कूल में पढने को जाते हैं वहाँ झाड़ू लगाने नहीं. साफ़ सफाई का जिम्मा स्कूल कर्मचारियों का है जिसके लिए उन्हें तनख्वाह दी जाती है सभी स्कूलों पर ऐसी पर्याप्त नियुक्तियां किये जाने की बाध्यता होनी चाहिए.

फिल्म की अच्छी बात यह है की कहीं भी अंग्रेजी को हिंदी के सामने खड़ा नहीं किया गया है .फिल्म अपने ‘हिंदी मीडियम’ सरोकारों के चलते कहीं भी अंग्रेजी का मज़ाक नहीं बनाती . फिल्म का म्यूजिक लाउड लगा कम ही जगहों पर गीत के बोल साफ़ समझ आ रहे थे. कुछ और भी बातें हैं फिल्म में जो जमी नहीं लेकिन यहाँ उन पर चर्चा आवश्यक नहीं.

कुल मिलाकर सिनेमा में समाज ढूढने वालों को और मनोरंजन खोजने वालों को , दोनों को ही यह फिल्म देखनी चाहिए.निर्देशक साकेत चौधरी एक पक्ष को और छूते तो अच्छा होता. आपने अक्सर यह सुना होगा की आई. ए. एस., नेता और अन्य सरकारी अधिकारीयों को अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ने को भेजने का नियम होना चाहिए .यदि ऐसा वास्तव में होने लगे तो सरकारी स्कूलों का कायापलट खुद ही हो जाएगा.

सरकारी स्कूलों की खस्ता हालत के मद्देनजर समस्या के एक समाधान के तौर पर इस पक्ष को हाईलाईट किया जा सकता था .हालांकि यह फिल्म की कमी नहीं है लेकिन इससे फिल्म का पक्ष और मजबूत होता .   हमें जो फिल्म की सबसे ख़ास बात लगी वह था राज और मीता का प्यार से गुंथा हुआ रिश्ता .हमारे लिए तो यही फिल्म की यू.एस.पी. रहा .राज और मीता के रिश्ते की बुनावट आपको यकीन दिलाती है कि हिंदी और इंग्लिश मीडियम प्यार से साथ-साथ रह सकते हैं इनमें कोई अनिवार्य अंतर्विरोध नहीं है .    – chandrakanta

Chandrakanta

Recent Posts

श्री शिवताण्डवस्तोत्रम् Shri Shivatandava Strotam

श्री शिवताण्डवस्तोत्रम् Shri Shivatandava Strotam श्री रावण रचित by shri Ravana श्री शिवताण्डवस्तोत्रम् Shri Shivatandava…

5 months ago

बोल गोरी बोल तेरा कौन पिया / Bol gori bol tera kaun piya

बोल गोरी बोल तेरा कौन पिया / Bol gori bol tera kaun piya, मिलन/ Milan,…

6 months ago

तोहे संवरिया नाहि खबरिया / Tohe sanwariya nahi khabariya

तोहे संवरिया नाहि खबरिया / Tohe sanwariya nahi khabariya, मिलन/ Milan, 1967 Movies गीत/ Title:…

6 months ago

आज दिल पे कोई ज़ोर चलता नहीं / Aaj dil pe koi zor chalta nahin

आज दिल पे कोई ज़ोर चलता नहीं / Aaj dil pe koi zor chalta nahin,…

6 months ago

हम तुम युग युग से ये गीत मिलन के / hum tum yug yug se ye geet milan ke

हम तुम युग युग से ये गीत मिलन के / hum tum yug yug se…

6 months ago

मुबारक हो सब को समा ये सुहाना / Mubarak ho sabko sama ye suhana

मुबारक हो सब को समा ये सुहाना / Mubarak ho sabko sama ye suhana, मिलन/…

6 months ago

This website uses cookies.