‘ऊँचाई’ फिल्म का निर्माण राजश्री प्रोडक्शन ने किया है फिल्म चार दोस्तों के इर्द गिर्द घूमती है। भूपेन का किरदार निभा रहे डैनी डेन्जोंगपा का सपना है कि वह अपने दोस्तों अमित (अमिताभ बच्चन), जावेद (बोमन ईरानी) और ओम (अनुपम खेर) के साथ एवरेस्ट बेस कैंप तक जाए। एक दिन अचानक भूपेन की मृत्यु हो जाती है और बाकी बचे तीनों दोस्त अपने दोस्त की अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए एवरेस्ट बेस कैंप ट्रेक पर जाने का फैसला करते हैं। एवरेस्ट की राह आसां नहीं है सबसे बड़ी बाधा है दोस्तों की उम्र। उम्र को धता बताकर और अपनी इच्छाशक्ति के बलबूते वे किस तरह एवरेस्ट के बेस कैंप तक पहुँचते हैं यही फिल्म की कहानी है। फिल्म की कहानी सुनील गांधी ने लिखी है ।Sooraj R. Barjatya
इस सफ़र में नीना गुप्ता और सारिका(माला) उनके साथ जुड़ते हैं। परिणिति चोपड़ा एवरेस्ट बेस कैंप की गाइड की भूमिका में हैं । बुजुर्ग दोस्तों के हौंसलों की उड़ान है ‘ऊँचाई’। फिल्म में दोस्ती है, प्रेम है, परिवार है, स्वार्थवश बदलते लोग और रिश्ते हैं। जीवन क्षणभंगुर है। एक मित्र के खालीस्थान को भरने के लिए उसकी अंतिम इच्छा की पूर्ति के लिए तीन मित्र एवरेस्ट बेस कैंप तक जाने का जोखिम उठाते हैं। लखनऊ, कानपुर और गोरखपुर की यात्रा करते हुए काफ़िला काठमांडू पहुँचता है। बेटी दामाद का अपने हमउम्र दोस्तों के साथ सालगिरह मनाना हो या संयुक्त परिवार की उजड़ी हुई हवेली ‘ऊँचाई’ की सिनेमाई यात्रा में राजश्री हर टूटे हुए पड़ाव पर संबंधों को जोड़ने का सूत्र देते चलते हैं। फ़िल्म दृश्य बिंबों के माध्यम से बताती है कि गाँव के रिश्तों में भी अब गर्माहट का वह सलीका नहीं रहा जो उसकी खांटी पहचान था।राजश्री की ही ‘पिया का घर’ फ़िल्म का आनंद बख्शी का लिखा गीत ‘ये जीवन है’ फ़िल्म की धड़कन बनकर सुख-दुःख के क्षणों में गूँजता रहता है।
मित्रता की ‘ऊँचाई’ को छूती राजश्री की यह फ़िल्म सुकून भरे सिनेमा की चाह को पूरा करती है। बड़े बच्चन बरसों पहले कह गए हैं- ‘अपने युग में सबको अनुपम ज्ञात हुई अपनी हाला’। फ़िल्म में लगातार बुजुर्गों के समानांतर युवा पीढ़ी को दिखाया गया है। दोनों पीढ़ियाँ स्वयं को सही मानती हैं। लेकिन वे आमने सामने या एक दूसरे के विरोध में खड़े न होकर एक पूरक और सहयोगी के तौर पर परोसे गए हैं, यह फ़िल्म का सुखद पक्ष है। अरसे बाद डैनी साहब को देखकर मन खिल उठा। उनके पहाड़ी नैन-नक्श और संजीदा उपस्थिति फ़िल्म में चार चाँद लगा रहे थे। पहाड़ों की गंध फ़िल्म के गीत-संगीत में भी गुंथी हुई है। ‘केटी को’ गीत सुनकर लगता है जैसे दो संस्कृतियाँ पूरे ममत्व से एक दूसरे को आलिंगन में भर रही हों। फिल्म के इस बेहद खूबसूरत गीत को इरशाद कामिल ने लिखा है और नकाश अजीज ने अपनी आवाज़ दी है। संगीत अमित त्रिवेदी का है । इस गीत में अमिताभ, डैनी, बोमन इरानी और अनुपम खेर मस्ती और ऊर्जा से लबालब दिख रहे हैं नेपाली टोपी इस गीत का मुख्य आकर्षण है।
जहाँ तक अभिनय की बात है सभी कलाकारों ने अच्छी प्रस्तुति दी है मध्यांतर के बाद फ़िल्म की गति कम लगी और कहीं कहीं प्रसंगों को समेटने की जल्दबाज़ी दिखी। फ़िल्म को और वक्त दिया जाना चाहिए था। लेकिन मन के सुकून के लिए ये दोनों ही बातें नजरअंदाज की जा सकती हैं। ‘ऊँचाई’ एक विश्वासघाती समय में विश्वास को जिलाए रखने वाला सिनेमा है। देश की आज़ादी के साथ इस वर्ष राजश्री प्रोडक्शन भी अपनी पचहत्तर वीं वर्षगांठ मना रहा है। 15 अगस्त 1947 ‘राजश्री पिक्चर्स’ नाम से ताराचंद बड़जात्या ने इस कंपनी की नींव रखी थी। राजश्री की सबसे सफल फिल्मों में आरती, दोस्ती , उपहार, चितचोर, अंखियों के झरोखे से , नदिया के पार , सारांश , मैंने प्यार किया, हम आपके हैं कौन, हम साथ साथ हैं और विवाह सरीखी उत्कृष्ट पारिवारिक फ़िल्में हैं ।
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