मेरे लेख

क्यूंकि, बेहूदा मानसिकता की कोई हद नहीं..

क्यूंकि, बेहूदा मानसिकता  की कोई हद नहीं..स्त्री का श्रृंगार से रिश्ता एक कभी न ख़त्म होने वाले उत्सव की तरह…

11 years ago

‘मौत केवल शहर की क्यों दर्ज की जाती है ! ‘ ( दिल्ली- 1 )

'शहरों के लोग बेहद असंवेदनशील होते हैं' ! 'उनके सीने में दिल नहीं होता' !! आपको भी ऐसे विश्वास सुनने…

11 years ago

प्रेम जीवन का वसंत – 1

बस, मुझी से प्रेम करो'!!!एक अजीब सी समझ है यह प्रेम को लेकर ..एक विकृत सी रोमानियत.हम प्रेम को व्यक्ति/देह…

11 years ago

एक ख़त दामिनी के नाम A LetteR tO Damini

दामिनी , काश ! उसी दिन मैंने उसकी आँखें नोच ली होती जब पुरुष की तरह दिखने वाली उस काली ब-ह-रू-पि-या आकृति ने मुझे छुआ…

11 years ago

एक खूबसूरत ..संजीदा ..एक मासूम सा एहसास..

प्रकृति की संपूर्ण रचनात्मकता जिस एक अनंत भाव में सिमट आती हों  ब्रह्माण्ड का समस्त सौंदर्य और मन की सभी अभिलाषाएं जिस एक प्रेरणा से…

12 years ago

फुर्सत हो .. तो जरा ठहरिये ..

 कभी-कभी आपको भी नहीं लगता कि हम केवल वह नोट बनकर रह गए है जिसे बाज़ार अक्सर अपनी सुविधा के…

12 years ago

तुमको! हर बार गढूँगी, खुद में..

जानती हूँ ! कि, दफ़न कर दिए जाएंगे  मेरी चाहतों के रोमानी सि-ल-सि-ले इतिहास के पन्नों में, एक दिन और…

13 years ago

तो बाँध लेती तुम्हे . .

कितने धागों में ..जो ये जान पाती तो बाँध लेती तुम्हे ..जाने नहीं देतीतुम कहते हो की मन का कोई ओर…

13 years ago

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