सुपरिचित व्यंग्यकार,नाट्य लेखक श्रीकांत आप्टे ने कहा कि बात कहने का कौशल लघु व्यंग्य रचनाओं को भी प्रभावी बना सकता है । उन्होंने कहा कि यह सुखद है कि आज व्यंग्य लेखकों की संख्या तो बढ़ गई है पर व्यंग्य में गुणवत्ता की ओर भी ध्यान देने की ज़रूरत है ।
आप्टे, रविवार को राष्ट्रीय व्यंग्यधारा समूह की 51वीं वर्चुअल संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए विचार प्रकट कर रहे थे । संगोष्ठी में बीकानेर के सुपरिचित व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा के व्यंग्य ‘ नारे और नेता’, पालमपुर की व्यंग्यकार चंद्रकांता के ‘ नहले पर दहला’, गाज़ियाबाद के डॉ वेद प्रकाश भारद्वाज की रचना ‘साहब का छाता’, और जबलपुर के वरिष्ठ व्यंग्यकार रमेश सैनी के व्यंग्य ‘व्यंग्यकार बनाने का ताबीज’, का वाचन स्वयं व्यंग्यकारों द्वारा किया गया । Indian satire
बुलाकी शर्मा ने अपने व्यंग्य में नेताओं द्वारा नारों के माध्यम से आमजन को बहलाने पर कटाक्ष किया वहीं चंद्रकांता ने अपनी व्यंग्य रचना के माध्यम से सास बहू के रिश्तोंं को उजागर किया । डॉ वेद प्रकाश भारद्वाज ने अपनी व्यंग्य रचना में अफसरशाही और चमचागिरी को लेकर कटाक्ष किया वहीं रमेश सैनी ने वर्तमान समय में व्यंग्यकारों की बढ़ती तादाद और उनके सरोकारहीन लेखन को अपने व्यंग्य का विषय बनाया।
आप्टे ने कहा कि आज का व्यंग्यकार समय की सच्चाई से बचकर नहीं निकल रहा और विसंगतियों पर चोट कर रहा है । उन्होंने कहा कि आज जहाँ पत्रिकाएँ ,समाचार पत्र व्यंग्य रूपी चटनी छाप रहीं हैं , वहीँ अच्छे व गुणवत्तापूर्ण व्यंग्य रचनाओं को मंच प्रदान करने के लिए व्यंग्यधारा समूह सतत प्रयत्नशील है।
बुलाकी शर्मा ने अपने व्यंग्य में नेताओं द्वारा नारों के माध्यम से आमजन को बहलाने पर कटाक्ष किया वहीं चंद्रकांता ने अपनी व्यंग्य रचना के माध्यम से सास बहू के रिश्तोंं को उजागर किया । डॉ वेद प्रकाश भारद्वाज ने अपनी व्यंग्य रचना में अफसरशाही और चमचागिरी को लेकर कटाक्ष किया वहीं रमेश सैनी ने वर्तमान समय में व्यंग्यकारों की बढ़ती तादाद और उनके सरोकारहीन लेखन को अपने व्यंग्य का विषय बनाया।
संगोष्ठी में सतना के वरिष्ठ व्यंग्यकार संतोष खरे ने सुझाव दिया कि गुणवत्तापूर्ण लेखन के लिए आज के व्यंग्यकारों को कबीर से लेकर हरिशंकर परसाई,शरद जोशी,रविन्द्र नाथ त्यागी सहित तमाम बड़े व्यंग्यकारों को पढ़ना चाहिए । उन्होंने व्यंग्य को प्रभावी बनाने में मुहावरों और लोकोक्तियों के प्रयोग को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया ।
वर्चुअल संगोष्ठी में जयपुर के व्यंग्यकार प्रभात गोस्वामी ने प्रमुख टिप्पणीकार के रूप में चारों व्यंग्य रचनाओं पर विस्तृत टिप्पणी की । उन्होंने कहा कि व्यंग्य के रोजमर्रा के विषयों पर लिखते समय यदि लेखक भाषा की वक्रता ,प्रभावी पञ्च और कथ्य का सही निर्वाह करता है तो रचना अपना अलग असर छोड़ती है। रायपुर के राजशेखर चौबे,भोपाल के कुमार सुरेश ,नागपुर के टीकाराम साहू आजाद ,टीकमगढ़ के रामस्वरूप दीक्षित,रायपुर की स्नेहलता पाठक ने भी व्यंग्य रचनाओं पर टिप्पणियाँ करते हुए अपनी बात रखी ।
संगोष्ठी की शुरुआत में संयोजक रमेश सैनी ने हाल ही में दिवंगत साहित्यकारों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि कोरोनाकाल के दौरान बने माहौल में व्यंग्यधारा समूह की ओर से अब तक 51 संगोष्ठियों का सफल आयोजन कर हमारे पाठकोंं,दर्शकों को एक सकारात्मक माहौल देने का प्रयास किया गया है । सह संयोजक दिल्ली के डॉ रमेश तिवारी ने संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन करते हुए समूह के उद्देश्यों को रेखांकित किया ।
इस अवसर पर देश के विभिन्न राज्यों से वरिष्ठ व्यंग्यकारों ने हिस्सा लिया । इनमें राजस्थान से वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार मधु आचार्य आशावादी ,प्रमोद कुमार चमौली ,रेणु देवपुरा,हनुमान मुक्त सहित अनूप शुक्ला, झारखण्ड से अभिजीत दुबे ,हनुमान प्रसाद मिश्र,अलका अग्रवाल सिगतिया,विवेक रंजन श्रीवास्तव ,महेंद्र ठाकुर सहित अनेक रचनाकार शामिल थे ।
प्रभात गोस्वामी, पूर्व संयुक्त निदेशक(समाचार),सूचना एवं जनसंपर्क विभाग,राजस्थान, जयपुर ।
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