साहित्य आलेख

चंद्रकांता कविता ‘फूलन बन जाओ सब

औरतों पर बनने वाली खबरें कभी बासी नहीं होती ।
ताज़ा खबर है –
एक आदमी की ‘हत्या के शक’ में
भीड़ ने एक औरत के कपड़े फाड़ दिये
बाज़ार के बीचों बीच निर्वस्त्र दौड़ाया
सबने उसे ढोल की तरह पीटा
फिर सरेआम घसीटा
सुना है वह महिला ‘रेड लाइट एरिया’ से थी ।
उफ़्फ़ ! समाज का इस तरह भीड़ में बदल जाना कितना भयावह है ।
बहरहाल, समाज का कोई ठेकेदार ब्यौरा देगा !
कितने बलात्कारियों,
कितने दहेज लोभियों
कितने एसिड अभियुक्तों
और कितने ‘ऑनर किलिंग’ करने वालों को
भीड़ से भि-न-भि-ना-ती हुई सड़क पर पीटा गया है ?
नंगा कर इस तरह खुले आम घसीटा गया है ??
क्या हमारे समाज का समस्त बाहुबल केवल एक महिला के लिए है ?
सुनों लड़कियों,
फफूंद लगा हुआ यह समाज नहीं बदलने वाला
लेकिन तुम बदल सकती हो ! इसलिए
पति छोड़ देगा ?
परिवार की बदनामी होगी ?
बहनों से ब्याह कौन करेगा ?
इस नैतिक-अनैतिक के फेर में तुम मत पड़ो
तुम उतार फेंको संस्कारों का लिहाफ़
साथियों तुम खड़ी हो जाओ इस सड़ी हुई व्यवस्था के खिलाफ ।
तुम बदल डालो इस समाज के एकतरफा नियम-कानून
जब ‘न्याय का दिन’ होगा तुम भी
इन उन्मत्त बाहुबलियों के वस्त्र नोचना
ट्रैफिक से रेंगती हुई सड़क पर
इन्हें नंगा करके पीटना, मैला खिलाना
लोहे की गर्म सलाखों से गोदना
इनके बेलगाम यौनागों को कंकड़-पत्थर से भर देना
तुम थूकना इन पर जब तक इनके भय से खाली न हो जाओ ।
तुम डरना मत जबकि,
तुम्हारे साहस को अपराध माना जाएगा
तुम्हारी हिम्मत को हिमाक़त समझा जाएगा
तुम्हें चौराहे पर लटका दिया जाएगा
और तुम्हारी गिनती कभी शहीदों में नहीं होगी
क्योंकि साहसी औरतों की समाधि पर
पूजा के नहीं लानत के फूल बरसाए जाते हैं
लेकिन तुम डटी रहना जब तक इनके हौंसले न उखड़ जाएं।
अकेली औरत कहाँ जाएगी ! क्या करेगी !
यदि ऐसा कोई ख़्याल मन में है
तो भीख मांग लेना
लेकिन इस समाज की एक भी गाली
और एक भी उलाहना मत सहना
तुम जियो और जीवन के गीत गाओ
तुम बंजर में उम्मीद का फूल खिलाओ
स्मरण रखो संकल्प ही मनुष्य का सबसे बड़ा साहस है ।
बहनों आगे बढ़ो
संगठित बनो ! संघर्ष करो ! अडिग रहो !
अपने हिस्से का एक इंच टुकड़ा भी
छीन लो इस लम्पट व्यवस्था से
इस दुनिया से अंतिम विदा लेने से पूर्व
‘दुनिया की सब औरतों एक हो जाओ’
और यदि जरूरत पड़े तो इस धरती को लहू से भर दो
सुनो ! फूलन बन जाओ सब की सब ..
पुरूष सत्ता की बुनावट में तुम्हारा यह दखल कीलें ठोक देगा ।

 

चंद्रकांता
Chandrakanta

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