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चिट्ठी , मिटटी लगती थी..

कुछ भूल गए हैं हम..चिट्ठी लिखना .. बातें खट्टी हों कड़वी या बताशा   चिठ्ठी, मिटटी सी लगती थी आँखें…

12 years ago

एक खूबसूरत ..संजीदा ..एक मासूम सा एहसास..

प्रकृति की संपूर्ण रचनात्मकता जिस एक अनंत भाव में सिमट आती हों  ब्रह्माण्ड का समस्त सौंदर्य और मन की सभी अभिलाषाएं जिस एक प्रेरणा से…

12 years ago

फुर्सत हो .. तो जरा ठहरिये ..

 कभी-कभी आपको भी नहीं लगता कि हम केवल वह नोट बनकर रह गए है जिसे बाज़ार अक्सर अपनी सुविधा के…

12 years ago

तुमको! हर बार गढूँगी, खुद में..

जानती हूँ ! कि, दफ़न कर दिए जाएंगे  मेरी चाहतों के रोमानी सि-ल-सि-ले इतिहास के पन्नों में, एक दिन और…

13 years ago

तो बाँध लेती तुम्हे . .

कितने धागों में ..जो ये जान पाती तो बाँध लेती तुम्हे ..जाने नहीं देतीतुम कहते हो की मन का कोई ओर…

13 years ago

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