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फरगुदिया:एक नए क्षितिज की और

महिलाओं के जीवन के सार्थक पहलुओं की पड़ताल करता एक समूह जो विभिन्न रचनात्मक गतिविधियों और कार्यशालाओं के माध्यम से…

11 years ago

क्यूंकि, बेहूदा मानसिकता की कोई हद नहीं..

क्यूंकि, बेहूदा मानसिकता  की कोई हद नहीं..स्त्री का श्रृंगार से रिश्ता एक कभी न ख़त्म होने वाले उत्सव की तरह…

11 years ago

‘मौत केवल शहर की क्यों दर्ज की जाती है ! ‘ ( दिल्ली- 1 )

'शहरों के लोग बेहद असंवेदनशील होते हैं' ! 'उनके सीने में दिल नहीं होता' !! आपको भी ऐसे विश्वास सुनने…

11 years ago

प्रेम जीवन का वसंत – 1

बस, मुझी से प्रेम करो'!!!एक अजीब सी समझ है यह प्रेम को लेकर ..एक विकृत सी रोमानियत.हम प्रेम को व्यक्ति/देह…

11 years ago

fRagrence Of sentimentS कुछ बिखरी हुई संवेदनाएं – 1

1 प्रिय ! बहुत बार  तुमसे कहना चाहा  किन्तु, प्रेम में गढ़ दिए गए शब्द  नहीं तय कर पाए  फासले …

11 years ago

तुम्हारी परछाई ..

जिंदगी के कुछ खट्टे कुछ कड़वे  पलछिनों को, आज जाड़ों की मीठी धूप मेंअपने गुलाबी दुपट्टे पर रख बिछा दिया   जिनके बरसों  अलमारी…

11 years ago

एक ख़त दामिनी के नाम A LetteR tO Damini

दामिनी , काश ! उसी दिन मैंने उसकी आँखें नोच ली होती जब पुरुष की तरह दिखने वाली उस काली ब-ह-रू-पि-या आकृति ने मुझे छुआ…

11 years ago

मधुबन के माली..

हे! पीताम्बर अब तुम चमत्कृत नहीं करते अनावृत हो चली है तुम्हारे अधरों पर खेलती  वह कुटिल मुस्कान तुम्हारे मस्तक…

11 years ago

कलाकृति..

कलाकृति..आज कुछ टूटे-फूटे, विस्मृत कंकड़-पत्थर साफ़ किये जो मुंडेर पर बिखरे पड़े थे बेफिक्र, बेतरतीब से अनमने यहाँ-वहाँ.. मैंनें, निर्भीक चुन लिया सभ्यता के अधि-शेष सूत्रों इतिहास…

11 years ago

दो टुकड़ा चाँद sPlit mOOn

मैं भीख हूँ  धूल से लबरेज़  खुरदरे हाथ-पाँव  सूखे मटियाले होंठ, निस्तेज  अपनी निर्ल्लज ख-ट-म-ली देह को  जिंदगी की कटी-फटी-छंटी …

12 years ago

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