Himachali Dham हिमाचल के बारह जिलों में बारह प्रकार की धाम परोसी जाती है
हिमाचल की भोजन संस्कृति धाम पर पिछले आलेख में आपने धाम की परम्परा, उत्सव और बोटी आदि के विषय में जाना. आइये आज रूबरू होते हैं हिमाचल के बारह जिलों में परोसी जाने वाली बारह तरह की धाम है। जहाँ कांगड़ा की धाम को सबसे स्वादिष्ट माना जाता है वहीँ कुल्लू की धाम सबसे प्राचीन मानी जाती है. धाम में मुख्य रूप से मीठे चावल, भांति भांति की दालें, खट्टा, मदरा और सेपू बड़ी आदि परोसे जाने का रिवाज़ है।
कांगड़ा की धाम – कांगड़ा की धाम शुद्धता के लहजे से उत्तम मानी जाती है । कांगड़ा में चने की दाल, माह उड़द ,साबुत, मदरा ,दही चना, खट्टा ,चने अमचूर, पनीर मटर, राजमा, सब्जी में जिमीकंद, कचालू, अरबी आदि व्यंजन परोसे जाते हैं. मीठे में अधिकाँशत: बदाणा (रंगीन मीठे चावल), पूरी या बूंदी के लड्डू भी परोसे जाते हैं।
बिलासपुर की धाम – यहाँ उड़द की धुली दाल, उड़द, काले चने खट्टे, तरी वाले फ्राई आलू या पालक में बने कचालू, रौंगी , लोभिया डाल परोसी जाती है. मीठे व्यंजनों में मीठा बदाणा (मीठे चावल) या कद्दू का मीठा प्रचलन में है। परिवार की आर्थिक क्षमता के अनुसार सादे चावल की जगह बासमती पुलाव, मटर पनीर व सलाद आदि भी परोसा जाता है।
सिरमौर की धाम – यहाँ धाम की परंपरा ग्रामीण इलाकों में ही अधिक है । चावल, माह की दाल और मीठे में जलेबी, हलवा शक्कर या फिर पूड़े खिलाए जाते हैं। सिरमौर की धाम के बारे में एक जन प्रचलित धारणा हमने सुनी है जिसे बताने का लोभ संवरण नहीं कर पा रहे हैं- कि वहाँ प्रधान पद का उम्मीदवार व्यक्ति अपने घर में पंचायत के लोगों को धाम देता है। जिसमें कच्ची और पक्की शराब के अलावा बकरे का मीट परोसा जाता है। धाम में शामिल लोगों की संख्या एक तरह का शक्ति प्रदर्शन होता है जिससे यह अनुमान लगाया जाता है कि फलाना उम्मीदवार जीतेगा या हारेगा।
सोलन की धाम – यहाँ की धाम में हलवा-पूरी, पटांडे आलू-गोभी या मौसमी सब्जियां और मिश्रित दाल व चावल चावल आदि भी परोसे जाते हैं। यहाँ बिलासपुरी धाम का प्रभाव भी दिखता है ।
ऊना की धाम – यहां चावल, दाल चना, राजमा, दाल माश खिलाए जाते हैं। यहां सलूणा और बलदा (एक प्रकार की कढ़ी) खास लोकप्रिय है। मीठे में शक्कर या बूरा परोसने का रिवाज़ है. इस क्षेत्र में पंजाब के खान पान का प्रभाव दिखाई पड़ता है.
हमीरपुर की धाम – हमीरपुर की धाम में दालें अधिक परोसी जाती हैं। राजमा या आलू का मदरा, चने का खट्टा व कढ़ी प्रचलित है। मीठे में यहां पेठा, बदाणा व कद्दू का मीठा भी बनता है। पहले समय में यहां नानकों, और मामकों की तरफ से धाम दी जाती थी। अब समय के साथ रिवाज़ में परिवर्तन आने लगा है।
शिमला की धाम – शिमला हिमाचल प्रदेश की राजधानी है. यहाँ माह उड़द की दाल, चने की दाल, मदरा ,दही में बनाए गए सफेद चने, आलू, जिमीकंद, पनीर, माहनी ,खट्टा में काला चना या पकौड़े, मीठे में बदाणा या छोटे गुलाब जामुन परोसे जाते हैं।
मंडी की धाम – सेपू बड़ी मंडी धाम की विशेषता है। यहां धाम में मटर पनीर, राजमा, काले चने ,खट्टे, खट्टी रौंगी लोभिया व आलू का मदरा, पकौड़े रहित पतली कढ़ी परोसी जाती है। मीठे व्यंजनों में मूंगदाल या कद्दू का हलवा और छोटे गुलाब जामुन दिए जाने की परम्परा है।
कुल्लू की धाम – कुल्लू का धाम मंडी की तर्ज पर ही होता है। यहां मीठा ,बदाणा या कद्दू, आलू या कचालू खट्टे, दाल राजमा, उड़द या उड़द की धुली दाल, लोबिया, सेपू बड़ी, लंबे पकौड़ों वाली कढ़ी व आखिर में मीठे चावल खिलाए जाते हैं।
चंबा की धाम – यहां चावल, मूंग साबुत, मदरा, माह, कढ़ी, मीठे चावल, खट्टा, मोटी सेवेइयां खाने का हिस्सा हैं। यहां मदरा मुख्य बोटी परोसता है। शुद्धता का ख्याल रखा जाता है. यहाँ धाम पत्तल और दोनों में परोसा जाता है. पत्तल व दोने पर्यावरण की दृष्टि से भी हानिकारक नहीं होते. हालाँकि थर्माकोल व प्लास्टिक के पत्तलों का इस्तेमाल बहुत तेजी से बढ़ रहा है जो चिंता का विषय है।
लाहुल-स्पीति की धाम – लाहुल-स्पीति की धाम में तीन बार भोजन परोसने का रिवाज़ है। चावल, दाल चना, राजमा, सफेद चना, गोभी आलू मटर की सब्जी और एक समय भेडू ,नर भेड़ का मीट या कभी तला हुआ माँस । खमीरी भठूरे या सादा रोटी और नमकीन चाय यहाँ धाम में परोसी जाती है। परोसने के लिए कांसे की थाली, शीशे या स्टील का गिलास व तरल खाद्य के लिए तीन तरह के प्याले इस्तेमाल होते हैं।
किन्नौर की धाम – यहाँ की धाम में माँसाहारी भोजन व शराब प्रमुख है। धाम के अन्य व्यंजनों के साथ पूरी, हलवा सब्जी भी बनाई जाती है।
चंद्रकांता
पालमपुर हिमाचल प्रदेश
( नोट: यह लेख स्थानीय बातचीत एवं न्यूज़ हिमाचल के लेख पर आधारित है )
श्री शिवताण्डवस्तोत्रम् Shri Shivatandava Strotam श्री रावण रचित by shri Ravana श्री शिवताण्डवस्तोत्रम् Shri Shivatandava…
बोल गोरी बोल तेरा कौन पिया / Bol gori bol tera kaun piya, मिलन/ Milan,…
तोहे संवरिया नाहि खबरिया / Tohe sanwariya nahi khabariya, मिलन/ Milan, 1967 Movies गीत/ Title:…
आज दिल पे कोई ज़ोर चलता नहीं / Aaj dil pe koi zor chalta nahin,…
हम तुम युग युग से ये गीत मिलन के / hum tum yug yug se…
मुबारक हो सब को समा ये सुहाना / Mubarak ho sabko sama ye suhana, मिलन/…
This website uses cookies.