हमारा दिल हमारा सबसे बड़ा राजदार है। हमारे दिल का सबसे बड़ा रहस्य प्रेम है। सच कहूँ तो प्रेम इस सृष्टि का सबसे बड़ा रहस्य है। दुनिया में पसरे दर्द को जीतने के लिए प्रेम इस दुनिया का सबसे बड़ा आश्वासन भी है। आज हम लुडविग वॉन बीथोवन के प्रेम पत्रों पर बात करेंगे। बीथोवन जर्मन के प्रसिद्द पियानोवादक और संगीतकार थे।मोजार्ट और बीथोवन के संगीत को दुनिया के सबसे बेहतरीन संगीत में माना जाता है। Beethoven and Mozart संगीत पर बीथोवन का वही दर्जा है जो साहित्य में शेक्सपियर का। आपको जानकार आश्चर्य होगा की विश्व प्रसिद्ध संगीत को रचने वाले बीथोवन खुद बहरे थे जी हाँ पैंतीस वर्ष की आयु के बाद बीथोवन की सुनने की क्षमता खत्म हो गयी थी। बीथोवन सुन नहीं सकते थे बावजूद इसके उन्होंने दुनिया को अमर संगीत दिया। बीथोवन की सिम्फनी के मोटिफ अक्सर हम फिल्मों में सुनते हैं। बीथोवन की मृत्यु छप्पन वर्ष की उम्र में हो गयी। उनके जाने के बाद उनके व्यक्तिगत सामान से कुछ प्रेम पत्र बरामद हुए जो ‘immortal beloved’ को संबोधित कर लिखे गए थे। यह बीलव्ड कौन था इसका खुलासा शायद आज तक नहीं हो सका।
हॉलीवुड में एक फिल्म भी ‘immortal beloved’ नाम से बनाई गई। यह शायद 1994 की बात है। इस फिल्म में बीथोवन की जो प्रेम कहानी बताई गई उसके अनुसार बीथोवन जिस लड़की जोहाना को वे प्रेम करते थे वे उससे ब्याह नहीं कर सके। उनकी प्रेमिका जोहाना ने बीथोवन के भाई कैस्पर से विवाह कर लिया फिल्म में यह भी बताया गया है की कैस्पर और जोहाना के बेटे के वास्तविक पिता बीथोवन ही थे। बीथोवन ने अपने बेटे पर क़ानूनी अधिकार पाने के लिए क़ानूनी लड़ाई भी लड़ी । हालाँकि समीक्षकों ने इस फिल्म की ऐतिहासिकता को नकार दिया। बीथोवन के प्रेम से जुड़े हुए कई संस्करण हैं फिलहाल उनका लिखा एक पत्र पढ़ते हैं –
“मेरी परी, मेरी सब कुछ, सिर्फ मेरी। आज सिर्फ कुछ शब्द कहूँगा, वह भी पेंसिल से। वैसे यह पेंसिल भी तुम्हारी ही दी हुई है। कल, मेरा डेरा बदल जाएगा, लेकिन यह सवाल फिर भी कायम रहेगा, कि क्या हमारा प्यार एक दूसरे से माँगे बगैर, एक दूजे से कहे बगैर।। चलता रहेगा? क्या तुम इस कड़वी सच्चाई को झुठला सकोगी कि तुम सिर्फ मेरी नहीं और मैं ,सिर्फ तुम्हारा नहीं? कभी अपने दिल पर हाथ रखकर इसकी आवाज सुनो। वह भी यही कहेगा कि प्यार में अभी बहुत सी हसरतें बाकी हैं। यदि तुम मेरे साथ रहती, तो हमारा दर्द, कम हो जाता। कल का मेरा सफर बड़ा भयानक रहा। सबेरे चार बजे पहुँच पाया। घोड़े कम थे। इसलिए कोच ने दूसरा रास्ता चुना। हालाँकि, लोगों ने मुझे कहा था, कि तुम रात का सफर मत करना, मगर लोगों की नसीहत ने मेरी उत्सुकता को बढ़ा दिया। लेकिन मैं गलत साबित हुआ। इस रास्ते पर बग्घी में चार की बजाय आठ घोड़े भी बँधे होते, तो भी काम न चलता। मगर फिर भी मुझे मजा आया। क्योंकि संकट से खेलना मुझे अच्छा लगता है और हर मुसीबत से गुजरने के बाद उससे बच निकलने का मजा ही कुछ और है।
जल्द ही हम एक-दूसरे से मिलेंगे। पिछले कुछ दिनों से, मैं विचारों की किस आँधी से गुजरा हूँ, इस बारे में मैं आज नहीं बताऊँगा। मेरा दिल तुमसे बहुत कुछ कहना चाहता है। मुझे लगता है, तुम्हारे लिए मेरे पास शब्द कम पड़ रहे हैं। चीअर अप। बस, हमेशा मेरी और सिर्फ मेरी बनी रहो, मेरी दौलत, मेरा खजाना, मेरी सब कुछ।”
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यह थी immortal beloved या अमर प्रेम की दास्तां । पत्र का यह अंश गूगल से लिया गया है। आशा है आपको पसंद आई होगी।
चंद्रकांता
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