हमारे गाँव में गरीबों के साथ भेदभाव करते हैं chilDren Of hOpe 8

भगाणा डायरी 8
मेरा गाँव : परवीन
कौन कहता है की जातियां मर गयी हैं ! वह तो बहुमत की हर एक सांस में जिन्दा है. जातीय संस्कारों की यह छौंक इतनी तीखी है की गैर अनुसूचित जातियों को एक ही स्त्रोत से पानी पीना और अनूसूचित जातियों का पढ़-लिख जाना नहीं सुहाता. इसलिए गाँव के गाँव जला देना लड़कियों को सड़क पर पड़ी हुई वस्तु समझकर उन्हें उठा ले जाना दबंगों की आदत हो गयी है. और कानून की परवाह इन शक्तिशाली समूहों नें कब की है. लेकिन नाक-मुंह सिकोड़ने से क्या होगा ! और कब तक होगा !! व्यवस्था से विद्रोह की जो  क्रान्ति इन नन्हें मस्तिष्कों में भीतर ही भीतर सुलग रही है उसे कौन बुझाएगा .  भगाणा शिविर से एक किशोरी और अपने गाँव की फ़ुटबाल खिलाड़ी परवीन लिखती है ..
हमारे गाँव में कुछ मनुष्य मजदूरी करने के लिए जाते हैं अथवा कुछ मनुष्य जाटों के खेतों में काम करते हैं.हमारे गाँव में एक से पांच महीने तक फसलें होती हैं.जैसे गेंहू, सरसों, चना,कपास, मूंगफली आदि.हमारे गाँव में औरतें भी आदमियों के साथ कमाने के लिए जाती हैं.कुछ लडकियां घर में काम करती हैं और कुछ स्कूल जाती है .
हमारे गांव में गरीबों के साथ भेदभाव करते हैं.अगर गरीब उनके खेतों में काम करने के लिए जाएं तो वह अपने मटके के हाथ भी नहीं लगाने देते हैं. पहले हम लोग इनसे डरते थे की इन्ही के खेतों में कमाने के लिए जाना होगा.हमारे गाँव में जब हम स्कूल के लिए जाते थे वह रास्ते में हमारे भाइयों को पीटते थे और लड़कियों के साथ छेड़छाड़ करते थे. हमको नौकरियों पर ना लगने देना वह सोचते थे की ये अगर आगे निकल गए तो हमारे खेतों में काम कौन करेगा. इन दबंग जाति के लोगों नें सारे गाँव का सत्यानाश कर डाला.यह दबंग जाति सोचते हैं की हमारे पास तो जमीन है कुछ भी करेंगे तो हमारा कुछ नहीं बिगड़ेगा.वह लोग यह नहीं सोचते की जब एक दिन यही गाँव शमशान बन जाएगा उनके पैसे के कारण तब क्या होगा !

आज इन गरीब मजदूरों के घर पर ताले लगे हुए हैं .आप और हममें से ऐसे कितने लोग हैं जो न्याय की उम्मीद में अपना घर बार छोड़कर सड़कों पर उतर आये ? और वह भी एक या दो दिन नहीं पूरे दो साल से अधिक समय तक ?? इन परिवारों में एक बच्ची छ :माह की भी है. क्या हम अपनें बच्चों के लिए कभी ऐसे भविष्य की कल्पना भी कर सकते हैं ??? नहीं ना ..परवीन आगे कहती हैं वैसे तो हमारा गाँव बहोत अच्छा है परन्तु कुछ दबंग जाती के लोगों नें यहाँ के अच्छे वातावरण को फूंक डाला और संसार की नजरों में गिरा दिया जैसे मंदिर जाने पर रोक लगा देना, दलितों के बच्चों को आगे ना बढ़ने देना उन्हें आते-जाते पीटना, दलितों को वाहन में ना बिठाना. सभी दलितों को अपने बच्चों को शिक्षित बनाना चाहिए ताकि वह अपनी जिन्दगी खुशहाल बना सकें पढ़ाई से हम नौकरी पर भी लग सकते हैं. फिर हम दबंग जाति के लोगों की बराबरी कर सकते हैं. माता-पिता को अपने बच्चे की शादी (की जल्दी) नहीं करनी चाहिए उनका भविष्य संवारने के लिए कदम कदम पर साथ रहना चाहिए और शादी के बाद छोटा परिवार रखना चाहिए. छोटा परिवार सुख से पढ़ भी सकता है. छोटा परिवार सुखी परिवार .

चंद्रकांता
Chandrakanta

Recent Posts

श्री शिवताण्डवस्तोत्रम् Shri Shivatandava Strotam

श्री शिवताण्डवस्तोत्रम् Shri Shivatandava Strotam श्री रावण रचित by shri Ravana श्री शिवताण्डवस्तोत्रम् Shri Shivatandava…

4 months ago

बोल गोरी बोल तेरा कौन पिया / Bol gori bol tera kaun piya

बोल गोरी बोल तेरा कौन पिया / Bol gori bol tera kaun piya, मिलन/ Milan,…

5 months ago

तोहे संवरिया नाहि खबरिया / Tohe sanwariya nahi khabariya

तोहे संवरिया नाहि खबरिया / Tohe sanwariya nahi khabariya, मिलन/ Milan, 1967 Movies गीत/ Title:…

5 months ago

आज दिल पे कोई ज़ोर चलता नहीं / Aaj dil pe koi zor chalta nahin

आज दिल पे कोई ज़ोर चलता नहीं / Aaj dil pe koi zor chalta nahin,…

5 months ago

हम तुम युग युग से ये गीत मिलन के / hum tum yug yug se ye geet milan ke

हम तुम युग युग से ये गीत मिलन के / hum tum yug yug se…

5 months ago

मुबारक हो सब को समा ये सुहाना / Mubarak ho sabko sama ye suhana

मुबारक हो सब को समा ये सुहाना / Mubarak ho sabko sama ye suhana, मिलन/…

5 months ago

This website uses cookies.