Articles

MUKESH POPLI BEST SHORT STORIES मुकेश पोपली लघुकथा संग्रह – हमसफ़र

MUKESH POPLI लघुकथा संग्रह – हमसफ़र (प्रकाशक कलमकार मंच )

लघुकथा संग्रह: हमसफ़र लेखक: श्री मुकेश पोपली  प्रकाशक: कलमकार मंच 

‘हमसफ़र’ किताब लघुकथाओं का दस्तावेज है जिसे लेखक ने अपनी जीवन संगिनी कविता मुकेश जी को समर्पित किया है। एक तेरा साथ, दिल्ली दिलवालों की, वाया चार्टेड बस, पापी पेट का सवाल, दिल्ली मेट्रो में आपका स्वागत है और जमाने को दिखाना है शीर्षक से यह छः खंडो में विभाजित है। मनहूस, ख़मियाजा, नास्तिक और किताबों वाले भैया इस संग्रह की उत्तम लघु कथाएं हैं। ‘जीवन मृत्यु’ लघुकथा ने मस्तिष्क को सन्न कर दिया। एक पाठक के रूप म में हम कई बार डूबे और हर बार अलग-अलग तिरे, इसके लिए लेखक निश्चित ही प्रशंसा के पात्र हैं। ‘तेरी जिंदगी मेरी जिंदगी’ लघुकथा की शैली ने रणविजय राव जी की कहानी ‘दिन भर की बातें’ स्मृति में ला दी। नि:संदेह लेखक के पास भाषा और भाव दोनों प्रेषित करने का संस्कार है। 

लघु कथाएँ मूलतः लोक संस्कृति की उपज हैं इसलिए रोजमर्रा के प्रसंगों के स्थान पर ‘लोक’ के माध्यम से आगे बढ़ाया जाए तो वे अधिक प्रभावी हो सकती हैं। चूंकि मुहावरों, लोकोक्तियों व लोक कथाओं के माध्यम से पल्लवित किए गए प्रसंग न केवल हमारी अंतस चेतना में अधिक समय तक जीवित रहते हैं बल्कि हमारे पाठकीय संस्कार को भी संतुष्ट करते हैं। ऐसा हमारा व्यक्तिगत मत है। कथा, लघुकथा या व्यंग्य में दैनिक घटनाओं का विवरण कम से कम हमारी पाठकीय चेतना को बाधित करता रहा है। लेखक का प्रथम पुरुष में संबोधित करना हमें प्रासंगिक नहीं लगा प्रथम तो इससे आत्मकथात्मक होने का खतरा लगातार बना रहा है फिर साथ ही विषयगत वैविध्य भी प्रभावित होती है। हालाँकि लेखक ने पूरी ईमानदारी से आरम्भ में ही यह स्पष्ट कर दिया है कि  – जीवन सफर में हुए  अनुभवों को उन्होंने रोचक तरीके से किस्से और घटनाओं में समेटने की कोशिश की है। 

अंत में, लघु कथाओं में परिवेश के विवरण की उपयुक्तता को लेकर भी विमर्श होना चाहिए। ‘भिखारी’ लघुकथा के अतिरिक्त हमें यह विवरण  कहीं नहीं जंचा। हमारी समझ में लघुकथा का ढांचा मितव्ययी होना चाहिए। 

“मुझे आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी यह मत सोचिएगा कि केवल प्रशंसा ही उत्तम होती है।” लेखक के मन की यह बात पाठकों को स्वाभाविक प्रतिक्रिया का स्पेस देती है। और हमने इस स्पेस का भरपूर लुत्फ़ उठाया  

श्री मुकेश पोपली को शुभकामनाएं। कहानी

चंद्रकांता

पालमपुर 

(कुछ शब्द कीबोर्ड की पकड़ में नहीं आए, वर्तनी की त्रुटि के लिए क्षमा)

ChandraKanta

Recent Posts

श्री शिवताण्डवस्तोत्रम् Shri Shivatandava Strotam

श्री शिवताण्डवस्तोत्रम् Shri Shivatandava Strotam श्री रावण रचित by shri Ravana श्री शिवताण्डवस्तोत्रम् Shri Shivatandava…

4 months ago

बोल गोरी बोल तेरा कौन पिया / Bol gori bol tera kaun piya

बोल गोरी बोल तेरा कौन पिया / Bol gori bol tera kaun piya, मिलन/ Milan,…

5 months ago

तोहे संवरिया नाहि खबरिया / Tohe sanwariya nahi khabariya

तोहे संवरिया नाहि खबरिया / Tohe sanwariya nahi khabariya, मिलन/ Milan, 1967 Movies गीत/ Title:…

5 months ago

आज दिल पे कोई ज़ोर चलता नहीं / Aaj dil pe koi zor chalta nahin

आज दिल पे कोई ज़ोर चलता नहीं / Aaj dil pe koi zor chalta nahin,…

5 months ago

हम तुम युग युग से ये गीत मिलन के / hum tum yug yug se ye geet milan ke

हम तुम युग युग से ये गीत मिलन के / hum tum yug yug se…

5 months ago

मुबारक हो सब को समा ये सुहाना / Mubarak ho sabko sama ye suhana

मुबारक हो सब को समा ये सुहाना / Mubarak ho sabko sama ye suhana, मिलन/…

5 months ago

This website uses cookies.