मेरी कविता

stOne पाषाण

पाषाण.. तुम, अंगिया में समेटे समस्त भार-अधिभार अस्मिता के मंदिर में पूजा-अर्चना के पश्चात् परोस दी जाती हो, अनमने ग्रहण…

10 years ago

untOucHabLe अछूत

UntouchableDrenched in grief that lone window Was spying out Into a hovel, Dejected, In want of life and breath Steadfast,…

11 years ago

street vendors पटरीवाले, चंद्रकांता

street vendors पटरीवाले, चंद्रकांता         आज कई हफ़्तों के पश्चात् हाट से खरीदी गुलाबी टोकरी हाथ में पकड़एकदम…

11 years ago

shOres sO mAny ? कितने किनारे ?

Shores So Many?This Emptiness of love Enamoured of hostility Chaste parlance Rugged, sterile course Carry me, again, back to youI,…

11 years ago

fRagrence Of sentimentS कुछ बिखरी हुई संवेदनाएं – 1

1 प्रिय ! बहुत बार  तुमसे कहना चाहा  किन्तु, प्रेम में गढ़ दिए गए शब्द  नहीं तय कर पाए  फासले …

12 years ago

तुम्हारी परछाई ..

जिंदगी के कुछ खट्टे कुछ कड़वे  पलछिनों को, आज जाड़ों की मीठी धूप मेंअपने गुलाबी दुपट्टे पर रख बिछा दिया   जिनके बरसों  अलमारी…

12 years ago

मधुबन के माली..

हे! पीताम्बर अब तुम चमत्कृत नहीं करते अनावृत हो चली है तुम्हारे अधरों पर खेलती  वह कुटिल मुस्कान तुम्हारे मस्तक…

12 years ago

कलाकृति..

कलाकृति..आज कुछ टूटे-फूटे, विस्मृत कंकड़-पत्थर साफ़ किये जो मुंडेर पर बिखरे पड़े थे बेफिक्र, बेतरतीब से अनमने यहाँ-वहाँ.. मैंनें, निर्भीक चुन लिया सभ्यता के अधि-शेष सूत्रों इतिहास…

12 years ago

दो टुकड़ा चाँद sPlit mOOn

मैं भीख हूँ  धूल से लबरेज़  खुरदरे हाथ-पाँव  सूखे मटियाले होंठ, निस्तेज  अपनी निर्ल्लज ख-ट-म-ली देह को  जिंदगी की कटी-फटी-छंटी …

12 years ago

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