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JANANA by chandrakanta जनाना कहानी संग्रह चंद्रकांता

JANANA india netbooks जनाना कहानी संग्रह इंडिया नेट्बुक्स

जनाना चंद्रकांता ‘जनाना’ कथा संग्रह गाँव, क़स्बा और शहर की कहानियों का गुलदस्ता है जिसमें फूलों की नरमी, काँटों सी चुभन और खुशबू से गदराया हुआ मन है। संग्रह में आठ कथाएं हैँ। पुस्तक की भूमिका आदरणीय फारुख आफरीदी साहब ने लिखी है।

शीर्षक कथा ‘जनाना’ एक कस्बाई स्त्री के यौन विचलन, प्रेम और किसान के श्रमिक बन जाने की गाथा है। ‘चाक’ व्यवस्था की संवेदनहीनता और कुम्हार परिवार के मज़दूर बन जाने की कथा है । ‘कैंडी’ पुरुषों के यौन शोषण की गिरह खोलती है तो ‘हरी भरी’ समाज के तिरियाचरित्र की । ‘सिलाई मशीन’ कहानी है एक अकेली स्त्री के संघर्ष, स्वाबलंबन और स्वाभिमान की। ‘हाऊस वाइफ’ एक स्त्री के खांटी घरेलूपन की कहानी है। ‘एक चुटकी इश्क़’ प्रेम के स्वाभिमान को रचती है तो ‘पार्ले पॉपिन्स् विद लव’ प्रेम में धर्म के धुंधलके को छांटती है। मर्यादा व् प्रेम के विचार को पुनः टटोलता और् समाज व व्यवस्था की संवेदनहीनता को उघाड़ता यह कथा संग्रह अब आपके सामने है।

“लेखक रचियता है वह सृजन करता है। सृजन जीवन में सौंदर्य का भाव भरता है। इसका भौतिक अथवा अभौतिक से कुछ लेना देना नहीं। यह सौंदर्य जीवन के बोध से जुड़ा है। लेखक इसी बोध की प्रस्तुति अपने लेखन के माध्यम से करता है। दरअसल लेखक किसी कुम्हार की भाँति है। एक लेखक का सुख उसका दुःख और उसकी समस्त संवेदनाएं मिलकर उसके पात्रों को जन्म देती हैं। लेखक अपनी संवेदनाओं को वैचारिक आँच पर मद्धम मद्धम पकाता है। वह शब्द व्यवहार और भाषिक संस्कार से चरित्रों की और परिवेश की साज सज्जा करता है। लेखक जिस पीड़ा, संत्रास, क्रोध और दुःख से घिरा होता है उसे अपने गढ़े हुए चरित्र में गूंथ देता है और इसके बाद आरम्भ होती है उस ‘वेदना से मुक्ति की यात्रा’। ‘जनाना और अन्य कहानियाँ’ में संकलित कथाएं वेदना से मुक्ति की इसी यात्रा की साक्षी हैं। बतौर सहयात्री इस यात्रा में मैंने अकेलेपन और एकांत के गूढ़ अंतर को समझा है, आत्मसात करने की कोशिश की है। इस कोशिश में सफल भी रही हूँ और असफल भी। कहानी

“उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में ईंट के भट्ठों से निकलती हुई जहरीली हवा के बीच एक क़स्बा रुक रुक कर साँस ले रहा था। कस्बे का नाम था ‘जनाना’। अब इस नाम के पीछे का मजमून क्या था यह तो नहीं मालूम, लेकिन इस जगह की रवायतों में जनाना जैसा कुछ नहीं था। यहाँ की आब-ओ-हवा मर्दाना थी।” JANANA

                        विचार हो, संवेदना हो, चरित्र हो या वातावरण एक कथा के माध्यम से लेखक स्वयं को अभिव्यक्त कर रहा होता है। वह जीवन से अपनी सहमतियों और असहमतियों को लिख रहा होता है। इसलिए कोई भी कथा लेखक के जीवन का दर्शन है। कम से कम मेरे लेखन का सत्य (अनुभव) यही है। एक और बात रखना चाहूँगी, लेखन सबसे पहले लेखक को मांजता है और यदि उसमें संभावना हुई तो पाठक को भी। लेखक हो या पाठक, लेखन पराजित व्यक्ति का सबसे विश्वस्त आश्रय है। 

अंत में, आपको यह बताने का लोभ संवरण नहीं कर पा रही हूँ कि प्रस्तुत संग्रह की तीन कहानियाँ ‘जनाना’, ‘एक चुटकी इश्क’ और ‘पॉपिंस विद लव’ क्रमश: प्रतिलिपि कथा पुरस्कार और हिन्द युग्म कथा प्रतियोगिता में अव्वल स्थान पर रह चुकी हैं। पाठकों के इस प्रेम के प्रति कृतज्ञ हूँ। आशा करती हूँ संग्रह की अन्य कहानियाँ भी आपकी कसौटी पर खरी उतरेंगी। पाठक इन कहानियों से खुद को जोड़ सकेंगे, महसूस कर सकेंगे। हमेशा की तरह आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतज़ार रहेगा” JANANA

‘जनाना व अन्य कहानियाँ’ कथा संग्रह के प्रकाशन के लिए इंडिया नेट्बुक्स की आभारी हूँ।  चंद्रधर शर्मा गुलेरी)

आपकी 

चंद्रकांता 

पालमपुर, हिमाचल प्रदेश  

पुस्तक अमेज़न पर उपलब्ध है। लिंक https://www.amazon.in/dp/B09RWNCQN4?ref=myi_title_dp

ChandraKanta

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