'मैं कुछ अलहदा तस्वीरें बनाना चाहती हूँ जैसे अंबर की पीठ पर लदी हुई नदी, हवाओं के साथ खेलते हुए, मेपल के बरगंडी रंग के पत्ते, चीटियों की भुरभुरी गुफा या मधुमक्खी के साबुत छत्ते, लेकिन बना देती हूं विलापरत नदी पेड़ पंछी और पहाड़ ।'
तेरी बिंदिया रे/ Teri bindiya re
साँसों की ज़रूरत है जैसे ज़िंदगी के लिये/Saanso ki jarurat hai jaise zindgi ke liye/Anuradha Paudwal
The Kerala Story, In the name Of Islamophobia
Summer skin emergency! जब गर्मियों में त्वचा जलने लगे
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‘Janana’ जनाना लेखिका चंद्रकांता
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श्री शिवताण्डवस्तोत्रम् Shri Shivatandava Strotam