स्पेशल किड अंजली chilDren Of hOpe 9
को सुनना..उन्हें समझना हमें हमेशा से सुकून देता है। आज बच्चों को सुना और उनकी अभिव्यक्ति के सुरों को पकड़ने की कोशिश की। पांच-छ: साल की बच्ची अंजली से मिलना आज का सबसे खास अनुभव रहा। सब उससे बुद्धू कहकर बुला रहे थे..उसका मजाक बना रहे थे..अंजली को लिखने के लिए कापी पेन्सिल दी तो पाया की वह कागज़ के किसी भी छोर पर बहोत बेतरतीब से पेन्सिल को गोल-गोल घुमा रही थी। जब अंजली को चित्रकारी और रंग भरने के लिए ड्राइंग बुक दी तो उन्होंने इधर-उधर रंग चलाने शुरू कर दिए। हमने आब्जर्व किया की वह बुद्धू नहीं है..अंजली तो ‘स्पेशल किड’ है उसकी समझ और अभिव्यक्ति हमारे जैसी नहीं है लेकिन कई बातों में वह हमसे आपसे बेहतर है। यही बात हमने उनकी माँ और साथी बच्चों को भी समझाने की कोशिश की।
स्पेशल किड्स के लिए ख़ास तौर पर डिजाइन की गयी ‘क्रिएटिव कल्चरल एक्टिविटीज’ और खेलों को प्रमोट किया जाना चाहिए लेकिन इस तरफ भी सुस्ती का माहोल है. अंजली अब शरीर के अंगों की पहचान करने लगी है आँख,नाक,कान,होंठ,दांत,बाल,हाथ,पैर..अंगुलियाँ सब बता देती है.और रेल की तरह भा-ग-म-भा-ग करती अपनी लडखडाती हुई जबान में एक से दस तलक की गिनती भी सुना देती है .यहाँ तक पहुँचने में उसे दस दिन लगे .वह आगे भी सीख लेगी बस उसे हमारा आपका साथ और प्यार चाहिए. हमारी समझ में अंजली को एक चिकित्सक की जरुरत है जो हमें और उसके परिवार को सही जानकारी दे सके .यदि आप स्पेशल किड से सम्बंधित किसी ऐसे चिकित्सक को जानते हैं जो जंतर-मंतर, दिल्ली पर आकर इस सन्दर्भ में हमें जरुरी जानकारी दे सके तो प्लीज़ बताएं.