मणिमोहन की कविताएँ
मणिमोहन की कविताएँ : इतवार की सुबह, निर्वस्त्र, शायद और थोड़ी सी भाषा स्वर: चंद्रकांता थोड़ी-सी भाषा बच्चों से बतियाते
Continue reading'मैं कुछ अलहदा तस्वीरें बनाना चाहती हूँ जैसे अंबर की पीठ पर लदी हुई नदी, हवाओं के साथ खेलते हुए, मेपल के बरगंडी रंग के पत्ते, चीटियों की भुरभुरी गुफा या मधुमक्खी के साबुत छत्ते, लेकिन बना देती हूं विलापरत नदी पेड़ पंछी और पहाड़ ।'
मणिमोहन की कविताएँ : इतवार की सुबह, निर्वस्त्र, शायद और थोड़ी सी भाषा स्वर: चंद्रकांता थोड़ी-सी भाषा बच्चों से बतियाते
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