Amrata Imroz अमृता इमरोज़ प्रेम की खुशबू से महकते दो फूल
Amrata Imroz उसने जिस्म छोड़ा है साथ नहीं वो अब भी मिलती है कभी तारों की छांव में कभी बादलों
Continue reading'मैं कुछ अलहदा तस्वीरें बनाना चाहती हूँ जैसे अंबर की पीठ पर लदी हुई नदी, हवाओं के साथ खेलते हुए, मेपल के बरगंडी रंग के पत्ते, चीटियों की भुरभुरी गुफा या मधुमक्खी के साबुत छत्ते, लेकिन बना देती हूं विलापरत नदी पेड़ पंछी और पहाड़ ।'
Amrata Imroz उसने जिस्म छोड़ा है साथ नहीं वो अब भी मिलती है कभी तारों की छांव में कभी बादलों
Continue readingimmortal beloved – Beethoven अमर प्रेम की एक दास्तां हमारा दिल हमारा सबसे बड़ा राजदार है। हमारे दिल का सबसे
Continue readingVyangyadhara seminar ‘ बात कहने का कौशल लघु व्यंग्य रचनाओं को भी प्रभावी बना सकता है ‘- श्रीकांत आप्टे
Continue readingShanta Kumar हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री श्री शांता कुमार ने बुजुर्गों के आश्रय ‘विश्रांति’ को संतोष शैलजा का स्वप्न बताते
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