shOres sO mAny ? कितने किनारे ?
Shores So Many?
This Emptiness of love Enamoured of hostility Chaste parlance Rugged, sterile course Carry me, again, back to you
I, like the soft vermilion,
Crumbly earth, Of the twilight Dusky bird of love, Forlorn, reach nowhere Even, until the sundown
Shivers, breaks down
Wails these lush trees Questions that mum gazelle Upon the confines of love Why getting evolve These damp fissures
You say only
How many more shores I, pause myself by And, how many pass over!
*enGlish transLation by Diwaker Deepak*
कितने किनारे ?
प्रेम की ये रिक्तता अनुरक्त भाव-अभाव अबोध भाषा ऊबड़ खाबड़ बाँझ दिशायें, मुझे पुनः ले जाती हैं तुम तक
मैं गोधूली
प्रभात की कुमकुम मृदु, भुरभुरी मिटटी सी प्रेम की श्यामल पाखी तन्हा, सांझ तलक भी कहीं नहीं पहुँचती
टू-ट-न टूटती है
कराहती हैं हरी-भरी चनारें करता है प्रश्न मौन मृग प्रेम की मेढ़ पर फिर-फिर पड़ती हैं क्यूँ ? ये सीलन भरी दरारें
तुम्ही कहो !
कितनें किनारों पर रोकूँ खुद को और, कितने पार करूँ?
चंद्रकांता