Category: मेरे लेख

क्यूंकि, बेहूदा मानसिकता की कोई हद नहीं..

क्यूंकि, बेहूदा मानसिकता  की कोई हद नहीं.. स्त्री का श्रृंगार से रिश्ता एक कभी न ख़त्म होने वाले उत्सव की

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‘मौत केवल शहर की क्यों दर्ज की जाती है ! ‘ ( दिल्ली- 1 )

‘शहरों के लोग बेहद असंवेदनशील होते हैं’ ! ‘उनके सीने में दिल नहीं होता’ !! आपको भी ऐसे विश्वास सुनने

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एक ख़त दामिनी के नाम A LetteR tO Damini

दामिनी , काश ! उसी दिन मैंने उसकी आँखें नोच ली होती जब पुरुष की तरह दिखने वाली उस काली ब-ह-रू-पि-या आकृति ने मुझे छुआ

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एक खूबसूरत ..संजीदा ..एक मासूम सा एहसास..

प्रकृति की संपूर्ण रचनात्मकता जिस एक अनंत भाव में सिमट आती हों   ब्रह्माण्ड का समस्त सौंदर्य और मन की सभी अभिलाषाएं जिस एक प्रेरणा

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