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Female Masturbation महिला हस्तमैथुन

Female Masturbation-पुरुष और स्त्री की शारीरिक संरचना और प्रेम के प्रति उनके नजरिये में काफी कुछ अंतर है।

नीम हकीमों और धर्मगुरुओं द्वारा हस्तमैथुन को स्वास्थ्य और संस्कारों के लिए हमेशा से हानिकारक कहा जाता रहा है ।हालाँकि इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण नहीं मिलता। स्वास्थ्य के लिए इसके लाभ-हानि जो भी हों लेकिन सेल्फ सेटिस्फेक्शन के लिए यह एक अचूक औषधि की तरह है।हमें लगता है कि खासकर स्त्रियों की शारीरिक सुरक्षा, उन पर होने वाले यौन हमलों और सेक्स कारोबार से होने वाले यौन संक्रमण के संदर्भ में हस्थमैथुन पर खुलकर बात किया जाना जरूरी है।

आप किसी तनाव में हों तो उसे दूर करने के लिए हस्तमैथुन करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है ।शारीरिक उत्तेजना को शांत करने का यह एक सहज स्वाभाविक और सुरक्षित उपाय है ।और सबसे महत्वपूर्ण बात की इसके लिये आपकी निर्भरता अन्य स्त्री या पुरूष पर नहीं रहती । एक और बात, महिलायें भी हस्तमैथुन करती है लेकिन आप इस विषय पर गूगल सर्च करेंगे तो आपको बेहद सीमित जानकारी मिल पाएगी। पुरुष और स्त्री की शारीरिक संरचना और प्रेम के प्रति उनके नजरिये में काफी कुछ अंतर है।

Female Masturbation को खुद से प्रेम या सेल्फ लव की तरह देखा जाना चाहिए।इस ‘अनुभूति’ को महसूस करने पर महिलाओं का भी बराबर का हक़ है।

यह बात हम जानते हैं कि शारीरिक संबंधों में अक्सर जो सेटिस्फेक्शन पुरुष को मिलता है अधिकांश महिलाएं उसे फील भी नहीं कर पातीं।महिला होने का सामाजिक दवाब, सेक्स में महिला की भूमिका से जुड़ी वर्जनाएं और इस प्रक्रिया में पुरुष का डोमिनेटिंग होना इसके कुछ कारण हो सकते हैं। आपको भी कोई कारण समझ में आता हो तो बताएं। इस ‘अनुभूति’ को महसूस करने पर महिलाओं का भी बराबर का हक़ है।इसलिए सेटिस्फाइड नहीं होने की स्थिति में और उसके अलावा भी लड़कियों/महिलाओं को हस्तमैथुन की जरुरत को समझना चाहिए।

कम से कम ऑनलाइन स्त्रोतों से इसकी जानकारी जरूर लेनी चाहिए।यह उनका अपना शरीर है उसमें होने वाली अनुभूतियां ग़लत नहीं हैं बस उन्हें समझे जाने की जरुरत है । Female Masturbation को खुद से प्रेम या सेल्फ लव की तरह देखा जाना चाहिए।  हस्तमैथुन करना कोई अजूबा नही है।टीनेज में हुए शारीरिक परिवर्तनों के बाद मनुष्यों के लिए यह एक बेहद स्वाभाविक जरुरत है। इसलिए कितना ही अजीब लगे इस पर घर में, मित्रों के बीच, स्कूलों में बात की जानी चाहिए।

Chandrakanta

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