Vijay Vishal विजय विशाल का काव्य संग्रह – चीटियाँ शोर नहीं करतीं
Vijay Vishal – एक पगडंडी का सड़क हो जाना/महज रास्ते का चौड़ा होना भर नहीं है कविता पर लिखते हुए
Continue reading'मैं कुछ अलहदा तस्वीरें बनाना चाहती हूँ जैसे अंबर की पीठ पर लदी हुई नदी, हवाओं के साथ खेलते हुए, मेपल के बरगंडी रंग के पत्ते, चीटियों की भुरभुरी गुफा या मधुमक्खी के साबुत छत्ते, लेकिन बना देती हूं विलापरत नदी पेड़ पंछी और पहाड़ ।'
Vijay Vishal – एक पगडंडी का सड़क हो जाना/महज रास्ते का चौड़ा होना भर नहीं है कविता पर लिखते हुए
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