तेरे मेरे बीच में कैसा है ये बंधन/ Tere mere beech mein kaisa hai ye bandhan/S. P. Balasubrahmanyam
तेरे मेरे बीच में कैसा है ये बंधन/ Tere mere beech mein kaisa hai ye bandhan, एक दूजे के लिए,
Continue reading'मैं कुछ अलहदा तस्वीरें बनाना चाहती हूँ जैसे अंबर की पीठ पर लदी हुई नदी, हवाओं के साथ खेलते हुए, मेपल के बरगंडी रंग के पत्ते, चीटियों की भुरभुरी गुफा या मधुमक्खी के साबुत छत्ते, लेकिन बना देती हूं विलापरत नदी पेड़ पंछी और पहाड़ ।'
तेरे मेरे बीच में कैसा है ये बंधन/ Tere mere beech mein kaisa hai ye bandhan, एक दूजे के लिए,
Continue readingतेरे मेरे बीच में कैसा है ये बंधन/Tere mere beech mein kaisa hai ye bandhan, एक दूजे के लिए, Ek
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