भाषा और समाज
भाषा और समाज –भाषा हमारे समाज का चित्र है और जितना सुन्दर ये चित्र होगा उतनी ही सुन्दर हमारी भाषा
Continue reading'मैं कुछ अलहदा तस्वीरें बनाना चाहती हूँ जैसे अंबर की पीठ पर लदी हुई नदी, हवाओं के साथ खेलते हुए, मेपल के बरगंडी रंग के पत्ते, चीटियों की भुरभुरी गुफा या मधुमक्खी के साबुत छत्ते, लेकिन बना देती हूं विलापरत नदी पेड़ पंछी और पहाड़ ।'
भाषा और समाज –भाषा हमारे समाज का चित्र है और जितना सुन्दर ये चित्र होगा उतनी ही सुन्दर हमारी भाषा
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