पिलकेंद्र अरोड़ा : ये रचना अगर छप भी जाये तो क्या है
पिलकेंद्र अरोड़ा : ये रचना अगर छप भी जाये तो क्या है : स्वर चंद्रकांता व्यंग्य : ये रचना अगर
Continue reading'मैं कुछ अलहदा तस्वीरें बनाना चाहती हूँ जैसे अंबर की पीठ पर लदी हुई नदी, हवाओं के साथ खेलते हुए, मेपल के बरगंडी रंग के पत्ते, चीटियों की भुरभुरी गुफा या मधुमक्खी के साबुत छत्ते, लेकिन बना देती हूं विलापरत नदी पेड़ पंछी और पहाड़ ।'
पिलकेंद्र अरोड़ा : ये रचना अगर छप भी जाये तो क्या है : स्वर चंद्रकांता व्यंग्य : ये रचना अगर
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