प्रेम जनमेजय : मोची भया उदास
प्रेम जनमेजय : मोची भया उदास : स्वर चंद्रकांता मेरी चप्पल टूट गई थी। मेरी चप्पल ‘पुरानी’ थी इसलिए टूट
Continue reading'मैं कुछ अलहदा तस्वीरें बनाना चाहती हूँ जैसे अंबर की पीठ पर लदी हुई नदी, हवाओं के साथ खेलते हुए, मेपल के बरगंडी रंग के पत्ते, चीटियों की भुरभुरी गुफा या मधुमक्खी के साबुत छत्ते, लेकिन बना देती हूं विलापरत नदी पेड़ पंछी और पहाड़ ।'
प्रेम जनमेजय : मोची भया उदास : स्वर चंद्रकांता मेरी चप्पल टूट गई थी। मेरी चप्पल ‘पुरानी’ थी इसलिए टूट
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