stOne पाषाण
पाषाण.. तुम, अंगिया में समेटे समस्त भार-अधिभार अस्मिता के मंदिर में पूजा-अर्चना के पश्चात् परोस दी जाती हो, अनमने ग्रहण
Continue reading'मैं कुछ अलहदा तस्वीरें बनाना चाहती हूँ जैसे अंबर की पीठ पर लदी हुई नदी, हवाओं के साथ खेलते हुए, मेपल के बरगंडी रंग के पत्ते, चीटियों की भुरभुरी गुफा या मधुमक्खी के साबुत छत्ते, लेकिन बना देती हूं विलापरत नदी पेड़ पंछी और पहाड़ ।'
पाषाण.. तुम, अंगिया में समेटे समस्त भार-अधिभार अस्मिता के मंदिर में पूजा-अर्चना के पश्चात् परोस दी जाती हो, अनमने ग्रहण
Continue readingThe article relates to the struggle of a woman who supports her ailing husband by ferrying passengers on the Battery
Continue readingSanitary Napkin – a wAy tO wOmen’s empOwerment Gender disparity: Shackled in the centuries-old discriminating taboos of menstrual flow, Indian
Continue reading‘सैनेटरी नैपकिन’ की लड़कियों की शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका है. क्या आप जानते हैं मेंसुरल /मासिक धर्म/माहवारी प्राथमिक कक्षाओं के
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