इस्लामोफोबिया क्या है?
The Kerala Story दी करेला स्टोरी फिल्म के बहाने एक बार फिर से ‘इस्लामोफोबिया’ पर चर्चा गर्म है। इस्लामोफोबिया मुसलमानों को लेकर पूर्वाग्रहों, भय और घृणा का समावेश है जो मुस्लिमों को धमकी, उत्पीड़न, दुर्व्यवहार, उकसाने और डराने आदि असहिष्णु तरीकों का प्रयोग करता है। यह इस्लामी धर्म, परंपरा और संस्कृति को पश्चिमी मूल्यों के लिए ‘खतरे’ के रूप में देखती है। यह संस्थागत, वैचारिक, राजनीतिक और धार्मिक शत्रुता से प्रेरित एक विचार है जो अपने चरम रूप में सांस्कृतिक नस्लवाद के रूप में सामने आता है और मुस्लिम धर्म के प्रतीकों और मान्यताओं को लक्षित करता है। कुछ तथाकथित घोषित इस्लामिक संस्थाओं व व्यक्तियों के आतंकवादी और मानवता विरोधी कृत्यों की एवज़ में इस्लाम धर्म और उसकी मान्यताओं को मानने वालों समस्त आबादी को कटघरे में खड़ा कर दिया गया है। United Nations
11 सितंबर 2001 वह दिन था जिसने पूरी दुनिया में इस्लाम को लेकर विरोध की तीखी लहर को जन्म दिया। कथित रूप से इस्लाम के नाम पर किए गए इस आतंकवादी हमले ने मुस्लिमों के प्रति संस्थागत घृणा और भेदभाव की स्थिति उत्पन्न कर दी। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र संघ ने धर्म और विश्वास की स्वतंत्रता पर एक विशेष रिपोर्ट जारी की है जिसके बाबत बताया गया है कि दुनिया भर में पिछले दो दशकों में मुस्लिमों के प्रति संदेह, भेदभाव और घृणा बहुत तेजी से बढ़ी है। https://news.gallup.com/poll/157082/islamophobia-understanding-anti-muslim-sentiment-west.aspx
यह एक खतरनाक स्थिति है जहां मुस्लिम आबादी अल्पसंख्यक है वहाँ वे शिक्षा, स्वास्थ्य, नागरिक सुविधा व रोजगार को लेकर भेदभाव को अनुभव करती हैं। इस्लामोफोबिया से उपजे अपराधों और ख़ास किस्म के नैरेटिव ने ने दुनिया भर में मुस्लिम महिलाओं की सुरक्षा की चिंता को बढ़ा दिया है।https://gajagamini.in/this-world-needs-male-discourse/
संयुक्त राष्ट्र संघ प्रत्येक 15 मार्च को इस्लामोफोबिया से मुकाबले के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाता है। संघ की मान्यता है कि आतंकवाद और हिंसक अतिवाद को किसी धर्म, राष्ट्रीयता, सभ्यता या जातीय समूह से जोड़ा नहीं जा सकता और न ही जोड़ा जाना चाहिए। संघ मानवाधिकारों और धर्मों और विश्वासों की विविधता के लिए सम्मान के आधार पर सहिष्णुता और शांति की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक संवाद को प्रस्तावित करता है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का मानना है कि विविधता एक समृद्धि है, खतरा नहीं है,”।
वर्ष 2012 से इस्लामोफोबिया अवेयरनेस मंथ (IAM) नामक अभियान भी चलाया जा रहा है जिसका लक्ष्य दुनिया भर में इस्लामोफोबिया को लेकर जागरूकता बढ़ाना और इस्लाम या मुस्लिम समुदायों के सकारात्मक योगदान की तरफ ध्यान दिलाना है। आईएएम 2022 की थीम #tacklingdenial है। 9/11 की आतंकवादी घटना के बाद इस्लामोफोबिया का प्रभाव बॉलीवुड और हालीवुड दोनों पर देखा जा सकता है ‘दी केरला स्टोरी’ फिल्म को लेकर लोगों की मिली जुली प्रतिक्रियेए आ रही हैं कुछ इसे हकीकत का नुमैन्दा बता रहे हैं तो कुछ इस्लामोफोबिया से ग्रस्त फिल्म।
इस लेख का आधार यूनाइटेड नेशंस का चार्टर है।
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