chilDren Of hOpe 5 परवीन
हम लोग पहले इंसाफ के लिए 30 दिन तक लड़ते रहे परंतु वहाँ की सरकार, पुलिस डी॰एस॰ पी॰ और बहोत से ऐसे लोग रिसवत (रिश्वत) में बिके हुए हैं। तो वेदपाल सिंह तंवर नें सोचा अगर यह सारा प्रसान (प्रशासन) बिका हुआ है तो हमें कहाँ से इंसाफ मिलेगा। तभी हमने यह दिल्ली के जंतर मंतर पर आकर बैठे हुए हैं। वेदपाल सिंह तँवर जैसे इंसान पर बहोत गर्व है जो दलित न होकर भी दलितों की मजबूरी जानता है । ऐसे लोगों पर सारे समाज को गर्व होना चाहिए । मैं पुलिस बनना चाहती हूँ ताकि समाज के गदरों (गद्दारों ) को पकड़ सकूँ । जिससे लड़कियों के जीवन में सुख मिल सके ।
मैंने कई बार देखा है की बहोत सी ऐसी लड़कियां इन गुनाहगारों के कारण अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़ देती हैं। मैं पुलिस बनने के बाद समाज में लड़कियों के साथ जो कुछ होता है उन्हे पकड़वाने के लिए और उन्हें इंसाफ दिलवाने के लिए अगर मेरी वर्दी भी ख़तरे में हो तो मैं पीछे की और कदम नहीं रखूंगी। आजकल के जमाने में (लोग) रिसवत लेते (हैं) और वह समाज की नजरों में अच्छा स्वभाव रखते हैं परंतु नीचे ही नीचे अपनी बुरी इच्छा को छुपाए रहते हैं।कुछ वकील ऐसे होते हैं जो रिश्वत लेते हैं और न्याय को ढक देते हैं.कुछ लोग सारा प्रशासन पैसे से खरीद लेते हैं. परंतु मैं एक धार्मिक एवं सतेवादी (सत्यवादी)पुलिस बनना चाहती हूँ। और अपने माता पिता का नाम रोशन करना चाहती हूँ। ‘
परवीन कहती है की 18 साल से कम उम्र की लड़कियों की शादी नहीं करनी चाहिए.पहले शादी करने से लड़कियां कुपोषण की शिकार हो जाती हैं..लड़की की जान भी जा सकती है. तथा बच्चे के बीच में तीन साल का अंतराल होना चाहिए.छोटी उम्र में शादी करने से लड़की पढ़ भी नहीं सकती और उन्हें ससुराल में बहोत कुछ सहना पड़ता है..