न्याय के लिए प्रार्थना पात्र chilDren Of hOpe 6

भगाणा डायरी 6, न्याय के लिए प्रार्थना पत्र  


आज बच्चों से हमने उनकी समझ में जंतर मंतर पर धरने का कारण जानने की कोशिस की साथ ही उन्हें गाँव में सरपंच, राज्य में मुख्यमंत्री और देश में प्रधानमन्त्री की भूमिका के बारे में भी सरल शब्दों में समझाया. इसके बाद हमने बच्चों को स्कूल में लिखी जाने वाली ‘सिक लीव’ की तर्ज़ पर प्रधानमन्त्री को ‘न्याय के लिए प्रार्थना पत्र’ लिखने को कहा. उनमें से कुछ बच्चों की कापी आपसे शेयर कर रहे हैं. 

गोवर्धन ०९.०५१४ (कक्षा सातवीं)


सेवा में प्रधानमंत्री 

सविनय निवेदन यह है की हम भगाना के निवासी हैं.हम यहाँ इन्साफ के लिए आये हैं हमारी चार लड़कियों के साथ रेप हुआ है जिन लोगों ने यह दुष्कर्म किया है उन्हें तुरंत गिरफ्तार करो.दो साल से ही हमारे काफी लोग यहाँ हिसार में धारण दे बैठे हैं वहां के लोग सब बीके हुए हैं.उन चार लड़कियों में से एक के पिताजी सरपंच के यहाँ नोकर रहता था और एक दिन उसको बहोत मारा और (सरपंच नें) दमकी(धमकी) दी की तुमार(तुम्हारा) ऐसा काम कर दूंगा की तुम कहाँ के बी मुह दिखाने लायक नहीं रहोगे. कई दिनों के बाद (सरपंच नें) यह काम करवा ही दिए. हमारी चार नाबालिग लड़की गुम गयी थी और हमारी चारों लड़कियों को जबरदस्ती गाड़ी में गेर कर ले गए. और पीर (फिर) उनके सात गाड़ी में बलात्कार किया. फिर भटिंडा रेलवे स्टेशन पर गिरा दिया.


परवीन (कक्षा दसवीं )

सेवा में 

प्रधानमन्त्री डा मनमोहन सिंह मुखिया भारत

सविनय निवेदन यह है की हम सब भागना गाँव से हैं पिछले दो सालों से धरना पर बैठे हुए हैं.इन जाटों नें (हमारे) वाहनों में बैठने पर रोक लगा दी और ना ही कुँए नालों से पानी लेने देते थे.२३ मार्च २०१४ को हमारी चार बहनों को उठा लिया उनके साथ बलात्कार किया. हिसार में हम ३० दिन तक रहे परन्तु वहां का प्रशासन बिका हुआ है इसलिए हम दिल्ली के जंतर मंतर पर आ गए. इन जाटों नें हम गरीबों को डरा रखा है की हमारे पास तो पैसा जमीन है (तुम) हमारे पास ही कमाने को आते हो. हम सब सोचते हैं की अब हम कहाँ अपने बच्चों का पेट भरेंगे.हम ड़ा मनमोहन सिंह से कहते हैं की जीनोने यह काम किया है उन्हें फांसी हो और जो बचे हुए हैं उन्हें गिरफ्तार किया जाए. 

धन्यवाद नाम परवीन .

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कैसे समाज में रह रहे हैं हम जहां छोटे छोटे बच्चों को यह सब लिखना -सुनना पड़ रहा है.यह कैसा आधार दे रहे हैं हम उनके भविष्य को ! और इस सबके बीच उनका बचपन कहाँ है ? सब बच्चों के दिमाग में सोते-जागते यही बलात्कार की बातें घूम रही है किसी ऐसी बात के लिए स्पेस नहीं रह गया है जो उनके कोमल बचपन से मेल खाती हो. 

प्रधानमंत्री जी, क्या आप इन बच्चों की शिकायत सुन रहे हैं ?

चंद्रकांता