Ranvijay Rao Satire लोकतंत्र की चौखट पर रामखेलावन
Ranvijay Rao Satire लोकतंत्र की चौखट पर रामखेलावन: श्री रणविजय राव भावना प्रकाशन ‘लोकतंत्र की चौखट पर रामखेलावन’ रणविजय राव
Continue reading'मैं कुछ अलहदा तस्वीरें बनाना चाहती हूँ जैसे अंबर की पीठ पर लदी हुई नदी, हवाओं के साथ खेलते हुए, मेपल के बरगंडी रंग के पत्ते, चीटियों की भुरभुरी गुफा या मधुमक्खी के साबुत छत्ते, लेकिन बना देती हूं विलापरत नदी पेड़ पंछी और पहाड़ ।'
Ranvijay Rao Satire लोकतंत्र की चौखट पर रामखेलावन: श्री रणविजय राव भावना प्रकाशन ‘लोकतंत्र की चौखट पर रामखेलावन’ रणविजय राव
Continue readingLalitya Lalit डॉ. लालित्य ललित – “पांडेय जी के किस्से और उनकी दुनिया” व्यंग्य संग्रह: पांडेय जी के किस्से और
Continue readingVyangyadhara seminar ‘ बात कहने का कौशल लघु व्यंग्य रचनाओं को भी प्रभावी बना सकता है ‘- श्रीकांत आप्टे
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Continue readingDr. Ramesh Saini व्यंग्य की त्रैमासिकी व्यंग्ययात्रा के जुलाई-दिसम्बर 2021 अंक (कोरोना प्रभावित संयुक्तांक) का ‘त्रिकोणीय’ डॉ. रमेश सैनी पर
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