आंधी तूफ़ान के बीच उम्मीद की रौशनी chilDren Of hOpe 2
भगाणा डायरी 2 06.05.14, 7:30 pm आंधी-तूफ़ान से जूझते बच्चे निजी व्यस्तता और फिर ट्रैफिक जाम के चलते आज शाम
Continue reading'मैं कुछ अलहदा तस्वीरें बनाना चाहती हूँ जैसे अंबर की पीठ पर लदी हुई नदी, हवाओं के साथ खेलते हुए, मेपल के बरगंडी रंग के पत्ते, चीटियों की भुरभुरी गुफा या मधुमक्खी के साबुत छत्ते, लेकिन बना देती हूं विलापरत नदी पेड़ पंछी और पहाड़ ।'
भगाणा डायरी 2 06.05.14, 7:30 pm आंधी-तूफ़ान से जूझते बच्चे निजी व्यस्तता और फिर ट्रैफिक जाम के चलते आज शाम
Continue readingभगाणा डायरी भाग – 1 (06 मई २०१४ ) बच्चों के लिए एक रचनात्मक कोना आजकल आप भगाणा केस को
Continue readingUntouchableDrenched in grief that lone window Was spying out Into a hovel, Dejected, In want of life and breath Steadfast,
Continue readingstreet vendors पटरीवाले, चंद्रकांता आज कई हफ़्तों के पश्चात् हाट से खरीदी गुलाबी टोकरी हाथ में पकड़एकदम
Continue readingPropose Day – फेसबुक खोला तो मालूम हुआ आज प्रपोज़ डे है तो प्रपोज़ की कई धुंधली स्मृतियाँ भी ताज़ा हो आयीं….
Continue readingShores So Many? This Emptiness of love Enamoured of hostility Chaste parlance Rugged, sterile course Carry me, again, back to
Continue readingनारी, तुम केवल श्रद्धा हो ! नारी तेरी यही कहानी आंचल में दूध आंखों में पानी ! ! ढोल, गंवार,
Continue readingउनके पसीने से आती निर्मम सडांध आपको इतनी तीखी लगती है, कि उस गंध के बारे में सोचनें भर से
Continue reading‘आजादी का अबीर इतना सम्मोहक है की तन मन सब इसमें रंग जाना चाहता है’. आज़ादी कीमती है और उससे अधिक
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