Holi the color of Inspiration हिंदी सिनेमा का नवरंग

Holi the color of Inspiration -चल जा रे हट नटखट

भारत में रंगों का त्योहार फागु पूर्णिमा को होता है ,फागु मतलब लाल रंग और पूर्णिमा मतलब पूरा चाँद। हमारा सिनेमा भी फागुन के इन रंगों को सर माथे पर बैठाता है । फागुन के गीतों को निकाल दिया जाए तो बॉलीवुड का गीत-संगीत कितना बेरंग हो जाएगा है ना !  हालांकि, हाल के बरसों के  सिनेमा में होली के गीतों की परंपरा सीमित हुई है लेकिन रंगों का क्रेज मल्टीप्लेक्स के दर्शकों में भी उतना ही है जितना सिंगल स्क्रीन के वक़्त हुआ करता था । बस वक़्त के साथ गीतों का अंदाज़ बदल गया है । पहले के फाग के गीत मोटे तौर पर लोकगीतों और रागों पर आधारित होते थे. ऐसी ही एक फिल्म है नवरंग.

रंगों का उत्सव नजदीक है लेकिन एक कवि कलाकार ( महिपाल ) अपनी गृहस्थी में उलझा होने के कारण कोई गीत रच पाने में असमर्थ है । वह गणेश की प्रतिमा के पास बैठकर प्रकृति से प्रेरणा लेता है और एक ऐसा गीत रचता है कि देवता भी धरती पर उतर आने को बाध्य होते हैं । देवता मनुष्यों के साथ रंगों के उत्सव का आनंद लेते हैं । प्रकृति, मनुष्य और संगीत का यह संबंध आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाता है । राग पहाड़ी पर आधारित यह अनूठा गीत वी. शांताराम की फिल्म ‘नवरंग’ ( 1959 )Navrang का है । भारत व्यास के लिखे इस गीत को आशा भोसले और महेंद्र कपूर ने गाया है  – 

अरे जा रे हट नटखट, ना छू रे मेरा घूँघट,
पलट के आज दूँगी तुझे गाली रे, मुझे समझो न तुम भोली भाली रे ।
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आया होली का त्यौहार, उड़े रंग की बौछार,
तू है नार नखरेदार मतवाली रे, आज मीठी लगे है तेरी गाली रे । ।

इस गीत में अभिनेत्री संध्या ने एक साथ राधा और कृष्ण दोनों की भूमिका अभिनीत की है । सी. रामचन्द्र की मधुर धुनें आपके कानों में मधु घोल देगी और इसकी मधुर ताल आपको बरबस ही थिरकने पर मजबूर कर देगी। आँगन में कमाल का नृत्य करती हुई संध्या लगभग बावरी सी होकर गजराज पर रंगों की वर्षा कर रही हैं ।  रंगों के समागम का यह अद्भुत दृश्य है।  आपमें से जिन भी साथियों को यह गीत धुंधला गया है फागुन की ऋतु में जब आस पास सब कुछ रंगों की फुहार में भीजा हो तब इस गीत को जरूर देखिए और सुनिए आप ताज़ा महसूस करेंगे और कह उठेंगे Holi Ayee Re।