पास आने दो ( गीत )
पास आने दो जरा मोहब्बतों कोबहक जाने दो जरा सी चाहतों को ये जो लब हैं तेरे मेरेहैं इतने दूर
Continue reading'मैं कुछ अलहदा तस्वीरें बनाना चाहती हूँ जैसे अंबर की पीठ पर लदी हुई नदी, हवाओं के साथ खेलते हुए, मेपल के बरगंडी रंग के पत्ते, चीटियों की भुरभुरी गुफा या मधुमक्खी के साबुत छत्ते, लेकिन बना देती हूं विलापरत नदी पेड़ पंछी और पहाड़ ।'
पास आने दो जरा मोहब्बतों कोबहक जाने दो जरा सी चाहतों को ये जो लब हैं तेरे मेरेहैं इतने दूर
Continue readingएक पंक्ति लिखती हूँ और अक्सर मिटा देती हूँ नि-रं-कु-श सत्ता के भय से फिर अपने भीतर के बचे हुए
Continue readingक्या वाकई आप सोचते हैं कि प्रेम पढ़कर आत्मसात कर लेने वाली कोई वस्तु है ? मैंने जब-जब अंतरंग होकर
Continue readingBandini 1963 – बंदिनी एक ऐसा प्रेमगीत है जहां, प्रेम सुविधा का नहीं समर्पण और संघर्ष का नाम है ।
Continue readingBandini 1963 – मोरा गोरा अंग लइ ले, मोहे स्याम रंग दइ दे बंदिनी’ विमल राय के निर्देशन में बनी
Continue readingPadmavat Review- ‘पद्मावत’ के संदर्भ में ‘खोदा पहाड़ निकली चुहिया’ वाली कहावत एकदम सटीक बैठती है. पद्मावत सिनेमा के लिहाज़
Continue readingपरीक्षित..सुनों भद्रे ! तुम हो वह स्त्री परीक्षित, जिसे ढूँढा मैंने क्षितिज के उस पार जिसे मैंने खोया पाया अपने स्त्री होने की अकेली अथक,
Continue readingभाषा और समाज –भाषा हमारे समाज का चित्र है और जितना सुन्दर ये चित्र होगा उतनी ही सुन्दर हमारी भाषा
Continue readingखुशियों के गुब्बारेवो देखो उड़ चलेमन कि आशाएं संग लेकर उड़ चलेउड़ चले उड़ चले उड़ चलेदोस्तों के वो नखरेहसीनों की
Continue readingAnand 1971 Music – ‘आनंद ‘ फिल्म के सभी गीत सदाबहार है . इसके गीत जीवन को जीने का भरोसा
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