दो टुकड़ा चाँद sPlit mOOn

मैं भीख हूँ  धूल से लबरेज़  खुरदरे हाथ-पाँव  सूखे मटियाले होंठ, निस्तेज  अपनी निर्ल्लज ख-ट-म-ली देह को  जिंदगी की कटी-फटी-छंटी 

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एक खूबसूरत ..संजीदा ..एक मासूम सा एहसास..

प्रकृति की संपूर्ण रचनात्मकता जिस एक अनंत भाव में सिमट आती हों   ब्रह्माण्ड का समस्त सौंदर्य और मन की सभी अभिलाषाएं जिस एक प्रेरणा

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