The power of Pink गुलाब गैंग

The power of Pink – रंग से हुई रंगीली रे चिड़िया

रंगों के बगैर फागुन ऐसा ही है जैसे बगैर बदरा के आसमान । और रंग की तासीर गुलाबी हो Pink हो तो प्रेम, यौवन और उन्मान्द सर चढ़कर बोलता है । आपने उत्तर प्रदेश के बांदा क्षेत्र के गुलाबी गैंग का नाम सुना होगा। औरतों के अधिकारों के लिए काम करने वाला यह समूह गुलाबी रंग की पोशाक पहनने के कारण अपनी एक विशिष्ट पहचान रखता है।  इन्ही महिलाओं पर सौमिक सेन नें माधुरी दीक्षित को मुख्य भूमिका में लेकर ‘गुलाब गैंग’ ( 2014) नाम से एक फिल्म बनाई थी । इस फिल्म में भी फागुन का एक गीत है जिसे कौशिकी चक्रवर्ती ने गाया है । 

रंग से हुई रंगीली रे चिड़िया, रंग से हुई रंगीली
कलगी हरी है, चोच गुलाबी पूछ है उसकी पीली ,
हाए रंग से हुई रंगीली रे चिड़िया, रंग से हुई रंगीली
Xxx
निकली थी मैं रंग लगाने गयी थी खेलन होली, हाए
जाल से बच के भागी तो देखा रंगे हुओं की टोली
इक ने दबोचा, दूजे ने पकड़ा इक ने दबोचा, दूजे ने पकड़ा और चला दी गोली

इस गीत की खास बात यह है कि इसे केवल औरतों पर फिल्माया गया है । यह एक ऐसा फागुन है जहां औरतों को उत्सव के लिए या एक रंगों से सरोबार जीवन के लिए पुरुषों की जरूरत नहीं है । एक रंग इन औरतों की साड़ी ( समूह ) का है जो आत्मविश्वास और शक्ति से भरा है तो दूजा रंग उनकी पीड़ा का है जिसे चिड़िया के रूपक के माध्यम से सामने रखा गया है । इन औरतों का संघर्ष और औरत होने का साझापन फागुन के रंगों को और भी मोहक बना देता है । ऐसी ही एक और मोहक फिल्म है पिंक Pink is not a film, it is like a movement

हिन्दी सिनेमा रंग-बिरंगे फागुन के गीतों से भरा हुआ है जहां हर एक गीत स्वयं में अनूठा है।  रंगों की बात करने बैठेंगे तो फुर्सत कम पड़ जाएगी । फिलहाल, रंगों का यह सुहाना सफर इतना ही ; आप इस फागुन अपने पसंदीदा गीत सुनिए और रंगों का यह उत्सव पूरे उल्लास के मनाइए । आप सभी को फागुन के ये रंग खूब मुबारक हों ।