संझी /संजा / झांझी की संस्कृति
मेरा टेसू यहीं अड़ा, खाने को मांगे दही बड़ा 🙂 🙂 बचपन का कोई बिसराया हुआ लोकगीत याद हो आया . सांझी
Continue reading'मैं कुछ अलहदा तस्वीरें बनाना चाहती हूँ जैसे अंबर की पीठ पर लदी हुई नदी, हवाओं के साथ खेलते हुए, मेपल के बरगंडी रंग के पत्ते, चीटियों की भुरभुरी गुफा या मधुमक्खी के साबुत छत्ते, लेकिन बना देती हूं विलापरत नदी पेड़ पंछी और पहाड़ ।'
मेरा टेसू यहीं अड़ा, खाने को मांगे दही बड़ा 🙂 🙂 बचपन का कोई बिसराया हुआ लोकगीत याद हो आया . सांझी
Continue readingThe article relates to the struggle of a woman who supports her ailing husband by ferrying passengers on the Battery
Continue readingSanitary Napkin – a wAy tO wOmen’s empOwerment Gender disparity: Shackled in the centuries-old discriminating taboos of menstrual flow, Indian
Continue reading‘सैनेटरी नैपकिन’ की लड़कियों की शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका है. क्या आप जानते हैं मेंसुरल /मासिक धर्म/माहवारी प्राथमिक कक्षाओं के
Continue readingभागाणा के बच्चों के खूबसूरत रंग कला हमारी अभिव्यक्ति एक ऐसा रूप है जहाँ हम अपने अंतर्मन
Continue readingभगाणा डायरी भाग 9 स्पेशल किड अंजली भगाना के बच्चों के साथ टीचर के रूप में हमारा पहला दिन जीवन के
Continue readingभगाणा डायरी 7 यह परवीन द्वारा की गयी कोई ‘साहित्यिक इमेजिनेशन’ नहीं है जहां उसनें पहले किसी कहानी का प्लेटफ़ार्म
Continue readingभगाणा डायरी 6, न्याय के लिए प्रार्थना पत्र आज बच्चों से हमने उनकी समझ में जंतर मंतर पर धरने
Continue readingभगाणा डायरी 5 09.05.14, 06.00 pm परवीन बड़ी होकर पुलिस बनना चाहती है . परवीन हम लोग पहले इंसाफ के लिए
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