shOres sO mAny ? कितने किनारे ?
Shores So Many? This Emptiness of love Enamoured of hostility Chaste parlance Rugged, sterile course Carry me, again, back to
Continue reading'मैं कुछ अलहदा तस्वीरें बनाना चाहती हूँ जैसे अंबर की पीठ पर लदी हुई नदी, हवाओं के साथ खेलते हुए, मेपल के बरगंडी रंग के पत्ते, चीटियों की भुरभुरी गुफा या मधुमक्खी के साबुत छत्ते, लेकिन बना देती हूं विलापरत नदी पेड़ पंछी और पहाड़ ।'
Shores So Many? This Emptiness of love Enamoured of hostility Chaste parlance Rugged, sterile course Carry me, again, back to
Continue readingनारी, तुम केवल श्रद्धा हो ! नारी तेरी यही कहानी आंचल में दूध आंखों में पानी ! ! ढोल, गंवार,
Continue readingउनके पसीने से आती निर्मम सडांध आपको इतनी तीखी लगती है, कि उस गंध के बारे में सोचनें भर से
Continue reading‘आजादी का अबीर इतना सम्मोहक है की तन मन सब इसमें रंग जाना चाहता है’. आज़ादी कीमती है और उससे अधिक
Continue readingमहिलाओं के जीवन के सार्थक पहलुओं की पड़ताल करता एक समूह जो विभिन्न रचनात्मक गतिविधियों और कार्यशालाओं के माध्यम से
Continue readingक्यूंकि, बेहूदा मानसिकता की कोई हद नहीं.. स्त्री का श्रृंगार से रिश्ता एक कभी न ख़त्म होने वाले उत्सव की
Continue reading‘शहरों के लोग बेहद असंवेदनशील होते हैं’ ! ‘उनके सीने में दिल नहीं होता’ !! आपको भी ऐसे विश्वास सुनने
Continue readingबस, मुझी से प्रेम करो‘!!!एक अजीब सी समझ है यह प्रेम को लेकर ..एक विकृत सी रोमानियत.हम प्रेम को व्यक्ति/देह
Continue reading1 प्रिय ! बहुत बार तुमसे कहना चाहा किन्तु, प्रेम में गढ़ दिए गए शब्द नहीं तय कर पाए फासले
Continue readingजिंदगी के कुछ खट्टे कुछ कड़वे पलछिनों को, आज जाड़ों की मीठी धूप मेंअपने गुलाबी दुपट्टे पर रख बिछा दिया जिनके बरसों अलमारी
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