Amrata Imroz अमृता इमरोज़ प्रेम की खुशबू से महकते दो फूल
Amrata Imroz उसने जिस्म छोड़ा है साथ नहीं वो अब भी मिलती है कभी तारों की छांव में कभी बादलों
Continue reading'मैं कुछ अलहदा तस्वीरें बनाना चाहती हूँ जैसे अंबर की पीठ पर लदी हुई नदी, हवाओं के साथ खेलते हुए, मेपल के बरगंडी रंग के पत्ते, चीटियों की भुरभुरी गुफा या मधुमक्खी के साबुत छत्ते, लेकिन बना देती हूं विलापरत नदी पेड़ पंछी और पहाड़ ।'
Amrata Imroz उसने जिस्म छोड़ा है साथ नहीं वो अब भी मिलती है कभी तारों की छांव में कभी बादलों
Continue readingVyangyadhara seminar ‘ बात कहने का कौशल लघु व्यंग्य रचनाओं को भी प्रभावी बना सकता है ‘- श्रीकांत आप्टे
Continue readingAe Malik Tere Bande Hum कहानी संग्रह गंगाराम राजी ए मालिक तेरे बंदे हम यह गंगाराम राजी जी के अद्यतन
Continue readingVijay Vishal – एक पगडंडी का सड़क हो जाना/महज रास्ते का चौड़ा होना भर नहीं है कविता पर लिखते हुए
Continue readingVyangya Kavita – व्यंग्य कविता हाशिए पर क्यों? नागार्जुन की विख्यात कविता “प्रतिबद्ध” कि पंक्तियां. हैं- प्रतिबद्ध हूं/संबद्ध हूं/आबद्ध हूं…जी
Continue readingDr. Ramesh Saini व्यंग्य की त्रैमासिकी व्यंग्ययात्रा के जुलाई-दिसम्बर 2021 अंक (कोरोना प्रभावित संयुक्तांक) का ‘त्रिकोणीय’ डॉ. रमेश सैनी पर
Continue readingMedia Vimarsh Jan-Mar 21 – भरोसे का नाम ही पत्रकारिता है -मीडिया विमर्श, मीडिया और मूल्यबोध विशेषांक’ मीडिया विमर्श’ जनसंचार
Continue readingपुस्तक संस्कृति पर परिचर्चा : डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ , डॉ. दिविक रमेश, डॉ. प्रेम जनमेजय और डॉ. इन्द्र
Continue readingHimachal Kavi Sammelan – हिंदी और हिमाचली भाषा की कविताएं कवि सम्मेलन-राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, विश्व पुस्तक मेला 2021(आभासी संस्करण) के
Continue readingसमकालीन हिंदी साहित्य – चरण सिंह पथिक, प्रभात गोस्वामी, वीणा वत्सल सिंह और यशपाल सिंह यश समकालीन हिंदी साहित्य भाग
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