समकालीन हिंदी साहित्य (भाग एक) विश्व पुस्तक मेला, 2001,नई दिल्ली(आभासी संस्करण)
समकालीन हिंदी साहित्य – सुदर्शन वशिष्ठ, गीताश्री, डॉ. सुनीता, चरण सिंह पथिक,सुलोचना, ऊषा दसोरा और रति सक्सेना राष्ट्रीय पुस्तक न्यास-समकालीन
Continue reading'मैं कुछ अलहदा तस्वीरें बनाना चाहती हूँ जैसे अंबर की पीठ पर लदी हुई नदी, हवाओं के साथ खेलते हुए, मेपल के बरगंडी रंग के पत्ते, चीटियों की भुरभुरी गुफा या मधुमक्खी के साबुत छत्ते, लेकिन बना देती हूं विलापरत नदी पेड़ पंछी और पहाड़ ।'
समकालीन हिंदी साहित्य – सुदर्शन वशिष्ठ, गीताश्री, डॉ. सुनीता, चरण सिंह पथिक,सुलोचना, ऊषा दसोरा और रति सक्सेना राष्ट्रीय पुस्तक न्यास-समकालीन
Continue readingमरू नवकिरण त्रैमासिक पत्रिका का अक्टूबर-दिसंबर 2020 (साहित्य कला और संस्कृति परिशिष्ट) अंक मरू नवकिरण त्रैमासिक पत्रिका का अक्टूबर-दिसंबर 2020
Continue readingVyangya Yatra – व्यंग्य यात्रा व्यंग्य का अनूठा उत्सव है ‘हिंदी व्यंग्य विमर्श को समर्पित व्यंग्य की सर्वाधिक चर्चित त्रैमासिक
Continue readingडॉ. लालित्य ललित से साक्षात्कार / Interview with Dr. Lalitya Lalit by Chandrakanta लेखकीय खेमों में जब खुद को सबसे
Continue readingDr. Harish Naval – लेखक, संपादक, पत्रकार, विजिटिंग व्याख्याता व वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ. हरीश नवल जी पिछले करीब पाँच दशकों
Continue readingGeetashree गीताश्री की पुस्तक ‘लिट्टी-चोखा और अन्य कहानियाँ’ में लोक, कला और स्त्री तीनों का स्पंदन है। मधुबनी मूल रूप
Continue readingआओ यादों के तकिये पर सर रखकर सो जाएं भूलकर सब खलिश जिंदगी की सुंदर सपनों में खो जाए मेरे
Continue readingमेह तुम टूटकर बरसो नीरद की दहलीज़ लांघकर सागरों से फट पड़ो घट-घट मे भर दो प्राण कण-कण कों कर
Continue readingअगर तुम स्त्री की रक्षा नहीं कर सकते तो उसे बेच भी नहीं सकते…’प्रेम करने वाले ह्रदय को खो देना
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