Bulaki Sharma नवीनतम व्यंग्य संग्रह ‘पांचवां कबीर
Bulaki Sharma इस व्यंग्य संग्रह का कथानक समकालीन समाज, राजनीति और साहित्य है।बुलाकी जी की एक विशेषता जिसका जिक्र हम
Continue reading'मैं कुछ अलहदा तस्वीरें बनाना चाहती हूँ जैसे अंबर की पीठ पर लदी हुई नदी, हवाओं के साथ खेलते हुए, मेपल के बरगंडी रंग के पत्ते, चीटियों की भुरभुरी गुफा या मधुमक्खी के साबुत छत्ते, लेकिन बना देती हूं विलापरत नदी पेड़ पंछी और पहाड़ ।'
Bulaki Sharma इस व्यंग्य संग्रह का कथानक समकालीन समाज, राजनीति और साहित्य है।बुलाकी जी की एक विशेषता जिसका जिक्र हम
Continue readingVyangya Kavita – व्यंग्य कविता हाशिए पर क्यों? नागार्जुन की विख्यात कविता “प्रतिबद्ध” कि पंक्तियां. हैं- प्रतिबद्ध हूं/संबद्ध हूं/आबद्ध हूं…जी
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