चिड़िया डिप्रेशन में है
आजकल पर्यावरण संरक्षण फैशन में हैं लेकिन मेरे मोहल्ले की चिड़िया डिप्रेशन में है। महीनों से आँगन की क्यारी में
Continue reading'मैं कुछ अलहदा तस्वीरें बनाना चाहती हूँ जैसे अंबर की पीठ पर लदी हुई नदी, हवाओं के साथ खेलते हुए, मेपल के बरगंडी रंग के पत्ते, चीटियों की भुरभुरी गुफा या मधुमक्खी के साबुत छत्ते, लेकिन बना देती हूं विलापरत नदी पेड़ पंछी और पहाड़ ।'
आजकल पर्यावरण संरक्षण फैशन में हैं लेकिन मेरे मोहल्ले की चिड़िया डिप्रेशन में है। महीनों से आँगन की क्यारी में
Continue readingगहन सांवली देह सेचपला की भांति कौंधतीउस पथिका की आँखों परमेरी आँखें टिक गयींजो भादों की उमस भरी दुपहरी मेंमोतीबाग
Continue readingऔरतों पर बनने वाली खबरें कभी बासी नहीं होती । ताज़ा खबर है – एक आदमी की ‘हत्या के शक’
Continue readingमेह तुम टूटकर बरसो नीरद की दहलीज़ लांघकर सागरों से फट पड़ो घट-घट मे भर दो प्राण कण-कण कों कर
Continue readingहम औरतें हम औरतें हमेशा भीड़ से घिरी रहती हैं जैसे मधु-मक्खियों से घिरे रहते हैं सुमन अहंकार इतना कि
Continue readingआलाप दिमाग में घने अंधेरों नें कसकर पाँव जमा रखे हैं एक भी सुराख़ नहीं है जो छटांक भर रोशनी
Continue readingएक पंक्ति लिखती हूँ और अक्सर मिटा देती हूँ नि-रं-कु-श सत्ता के भय से फिर अपने भीतर के बचे हुए
Continue readingक्या वाकई आप सोचते हैं कि प्रेम पढ़कर आत्मसात कर लेने वाली कोई वस्तु है ? मैंने जब-जब अंतरंग होकर
Continue readingपरीक्षित..सुनों भद्रे ! तुम हो वह स्त्री परीक्षित, जिसे ढूँढा मैंने क्षितिज के उस पार जिसे मैंने खोया पाया अपने स्त्री होने की अकेली अथक,
Continue readingवह देखो ! हाशिये का आदमी और उसके आगे वह काले रंग की लकीर जो हमारी व्यवस्था नें खींची है वह
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