Anand 1971 आनंद
Anand 1971- “बाबू मोशाय, हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियां है, जिसकी डोर ऊपर वाले के हाथ में है, कौन
Continue reading'मैं कुछ अलहदा तस्वीरें बनाना चाहती हूँ जैसे अंबर की पीठ पर लदी हुई नदी, हवाओं के साथ खेलते हुए, मेपल के बरगंडी रंग के पत्ते, चीटियों की भुरभुरी गुफा या मधुमक्खी के साबुत छत्ते, लेकिन बना देती हूं विलापरत नदी पेड़ पंछी और पहाड़ ।'
Anand 1971- “बाबू मोशाय, हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियां है, जिसकी डोर ऊपर वाले के हाथ में है, कौन
Continue readingथोड़ा सा चखकर देखा है बड़ी चटपटी है जिंदगी कभी पानी पूरी सी है कभी ख्वाहिश अधूरी है कभी ऊंची
Continue readingहम सबको आज़ादी बहोत मुबारक हो I जब हमें आज़ादी मिली तब वह अपने साथ बहोत सारे अधिकारों को भी
Continue readingToilet- Ek Prem Katha – “पीरियड हो रहे हो तो घर के बाहर, हल्का होना हो तो खेत के बाहर,
Continue readingतुझ बिन जाऊं कहाँ तू संग है के नहीं SSSS ये बता तुझ बिन जाऊं कहाँ X 2 तू रोशनी मेरी आँखों
Continue readingHindi Medium – ‘अंग्रेजी जबान नही क्लास है’ ‘अंग्रेजी जबान नही क्लास है’ इस थीम को लेकर फिल्म
Continue readingEk Thi Dayan 2013 – डायन’ स्त्री के अस्तित्व पर अधिकार के लिए बुना गया एक अंधविश्वास है जिसे पूरे
Continue readingपीर पीर मेरापीर पीर तेरा पीर पीर सबदा sssssपीर इबादत पीर मोहब्बत पीर है घर रब दा sssssपीर पीर मेरापीर पीर तेरा पीर पीर
Continue readingबलात्कार साफ तौर पर बर्बरतापूर्ण की गई यौन हिंसा ही है। इस बर्बरता की डिग्री नापना एक अजीब सी बात
Continue readingFemale Masturbation-पुरुष और स्त्री की शारीरिक संरचना और प्रेम के प्रति उनके नजरिये में काफी कुछ अंतर है। नीम हकीमों
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